Wednesday, October 30, 2024
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आपदा के बाद बिजली और राशन का संकट, मोबाइल चार्ज करने के लिए चलना पड़ रहा 10 किलोमीटर

बांदल वैली में आई आपदा के बाद से क्षेत्र के कई गांवों में अब तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो पाई है। वहीं, कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां बिजली आपूर्ति की अस्थायी व्यवस्था की गई है। जिसके चलते लोगों को मोबाइल चार्ज कराने तक के लिए 10 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। सरोना डुमकोट (देहरादून) के ग्रामीण धनसिंह ने बताया कि गांव के सभी संपर्क मार्ग टूटे हुए हैं। गांव में न तो बिजली पहुंच पाई है और न ही पानी की पाइप लाइन ठीक हो पाई है। नदी भी गांव से बहुत दूर है। बरसात का पानी एकत्र कर काम चलाना पड़ रहा है। बिजली न होने से मोबाइल चार्ज करने के लिए सरखेत और मालदेवता तक जाना पड़ रहा है। यह क्षेत्र संचार व्यवस्था से पूरी तरह कटा हुआ है।
कई गांवों में लगातार बढ़ रहा राशन का संकट –
सिल्ला सीतापुर गांव (टिहरी) की बिलदेई ने बताया कि उनके गांव में आपदा से तीन-चार मकान टूटे हैं। गोशाला में भी मलबा आ गया था। अब तक पटवारी के अलावा प्रशासन से कोई भी गांव में नहीं आया है। बेटे का वाहन भी दब गया है। सीता देवी और सुलोचना ने बताया कि गांव में पानी की अस्थायी व्यवस्था बुधवार को हुई। जबकि बिजली व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है। गांव में राशन का भी संकट होने लगा है। एक बार सरखेत में किसी ने खाने की सामग्री दी थी। उसके बाद कोई पूछने नहीं आया।
रिजॉर्ट की देखभाल करने वाली महिला भी बही थी
सिल्ला सीतापुर की महिलाओं ने बताया कि नदी किनारे बना एक रिजॉर्ट भी पानी के सैलाब में बह गया। रिजॉर्ट मालिक पांच-छह महीने में कुछ दिन रुकने के लिए वहां आते थे। रिजॉर्ट मालिक ने उसकी देखभाल के लिए गांव की महिला हिमदेई को रखा हुआ था। आपदा में हिमदेई की भी मौत हो गई। हिमदेई का शव मालेदवता में तीन दिन पहले नदी से बरामद हुआ।
चार लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं खोजी दल-
आपदा में देहरादून जिले में लापता चार अन्य लोगों का अब तक पता नहीं लग पाया है। जिन्हें तलाशने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य विभागों के 150 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी दिन रात जुटे हुए हैं।
स्कूल पहुंचने में हो रही दिक्कत-
टिहरी जिले के ताछिला, मठैत, कांकलियाल, चिफल्टी आदि गांवों में भी लोगों को कई तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कांकलियाल गांव की आंचल अंज्वाण ने बताया कि वह मालदेवता में 11वीं कक्षा में पढ़ती है। उनके गांव में भी मलबे से मकानों को क्षति पहुंची है। सड़क टूटी होने से स्कूल की पैदल दूरी 9-10 किलोमीटर हो गई है। आंचल ने बताया कि प्रशासन की कोई मदद वहां नहीं पहुंच पा रही है। मुख्यमंत्री जरूर हेलीकॉप्टर से क्षेत्र में आए थे। मठैत गांव के बच्चे भी जान जोखिम में डालकर मालदेवता स्कूल पहुंच रहे हैं।

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