जातिगत असमानताओं को दूर करने के लिए कई संगठन जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। साथ ही आधुनिकता के दौर में युवाओं के सोचने का तरीका भी बदला है। लेकिन, उत्तराखंड में दूसरी जाति में शादी करना आज भी चुनौती बना हुआ है। अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन के सरकारी आंकड़ों से इस बात की पुष्टी होती है। आंकड़ों के अनुसार, 2020 से 2022 तक राज्य में अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के लिए कुल 99 आवेदन आए हैं। इनमें से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 35, 2021-22 में 43 और 2022 में आठ महीनों के भीतर महज 21 आवेदन प्राप्त हुए हैं। 2020 की अपेक्षा 2021 में अंतर्जातीय विवाह के बाद योजना का लाभ लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ था। लेकिन इस साल अभी आंकड़ा कम चल रहा है। सरकार द्वारा अंतर्जातीय प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के तहत प्रत्येक आवेदक को 50 हजार रुपये की धनराशि दी जाती है। इसका उद्देश्य सामाजिक और जातिगत दूरियों को समाप्त करना है। लेकिन योजना के तीन सालों के आंकड़े साफ बताते हैं कि वर्तमान समय में भी दूरियां खत्म होती नजर नहीं आ रही हैं।
टिहरी में तीन साल में एक भी मामला नहीं
चौंकाने वाली बात यह है कि टिहरी जिले में तीन साल के भीतर एक भी आवेदन प्रोत्साहन योजना के लिए नहीं आया। 2020-21 में सर्वाधिक 10 आवेदन नैनीताल जिले में किए गए थे वहीं 2021-22 में हरिद्वार में सबसे ज्यादा 14 लोगों ने आवेदन किया। इस साल भी अब तक सबसे ज्यादा सात आवेदन हरिद्वार जिले में आए हैं। वर्तमान समय में परिदृश्य बदल रहा है। विवाह को लेकर जातिगत दूरियां कम हो रही हैं। हालांकि योजना को लेकर कम आवेदन आए हैं हो सकता है लोग लाभ न लेना चाहते हों। -प्रो. एपी सिंह, प्राध्यापक समाज शास्त्र, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि
जाति के बाहर शादी उत्तराखंड में आज भी चुनौती! चौंकाने वाले हैं आंकड़े
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