Thursday, February 6, 2025
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शंभू नदी पर बनी झील से 1050 क्यूसेक पानी होने लगा है डिस्चार्ज

बागेश्वर। शंभू नदी पर बनी झील से पानी की निकासी करवाने के लिए पांच दिन तक चला अभियान समाप्त हो गया है। सिंचाई विभाग, तहसील प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम ने मलबे से पटे झील के मुहाने को 12 मीटर चौड़ा कर दिया है। झील वाले स्थान से अब 1050 क्यूसेक पानी की निकासी होने लगी है। पानी का बहाव तेज और जमा मलबे में दलदल होने के कारण एसडीआरएफ के जवानों और सिंचाई विभाग के श्रमिकों को काफी जोखिम उठाकर काम करना पड़ा। मानसून बीत जाने के बाद सिंचाई विभाग की टीम फिर से झील का निरीक्षण करेगी।
भूस्खलन से जमा मलबे के कारण बनी झील से पानी की निकासी करने के लिए सिंचाई विभाग ने 20 श्रमिक लगाए थे। एसडीआरएफ के जवानों के नेतृत्व में श्रमिकों को मलबा हटाने का अभियान चलाया। हालांकि क्षेत्र में हो रही बारिश के कारण नदी का बहाव काफी तेज था। ऐसे में नदी से मलबा हटाने से लोगों के बहने या चोटिल होने का खतरा था लेकिन एसडीआरएफ के जवानों ने सूझबूझ के साथ मलबा हटाना शुरू किया। जवानों और श्रमिकों ने पानी के बीच जाकर खोदाई की और पत्थरों को हाथों से हटाया। नदी के एक किनारे से कम मात्रा में मलबा निकालते हुए टीम बीच तक गई फिर दूसरे छोर से मलबा हटाने का अभियान चला। श्रमिकों और जवानों ने झील के मुुहाने पर जमा मलबे को धीरेे-धीरे हटाते हुए नदी के प्रवाह को तेज किया। फिलहाल नदी का बहाव सामान्य गति से होने लगा है
कुंवारी गांव की तलहटी से गुजरने वाली शंभू नदी शंभू बुग्यालों के बीच ग्लेशियर से निकलती है। यह पिंडर की सहायक नदी है, जो कुंवारी गांव से कुछ आगे जाने पर पिंडर में मिलती है। पिंडर नदी आगे चलकर चमोली के थराली, नारायणबगड़ होते हुए कर्णप्रयाग में अलकनंदा के साथ मिलती है। शंभू नदी में पिछले चार साल से भूस्खलन का मलबा जमा होने से बन रही झील से सीधा खतरा चमोली जिले के सीमांत इलाकों के लिए हो रहा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम विनीत कुमार ने स्वयं मामले का संज्ञान लिया और एसडीएम, सिंचाई विभाग को झील से पानी की निकासी करवाने के निर्देश दिए थे। सिंचाई विभाग के एएई प्रकाश सिंह नेगी के नेतृत्व में पटवारी कुंदन प्रसाद, एसडीआरएफ के सभी पांचों जवानों और विभाग के श्रमिकों ने आखिरकार झील से मलबा हटाकर नदी के रुके प्रवाह को सामान्य कर दिखाया। शंभू नदी से फिलहाल पानी लगातार बहने लगा है। हालांकि अभी भी नदी में काफी मलबा है, जो दलदल में बदल गया है। मलबा हटा रहे कई कर्मचारी दलदल में एक-एक फीट तक धंस रहे थे। नदी का बहाव सामान्य होने के बाद फिलहाल काम रोक दिया है। मानसून सीजन बीतने के बाद फिर से नदी का निरीक्षण किया जाएगा और बाकी मलबा हटाने की कोशिश की जाएगी, ताकि भविष्य में दोबारा झील न बन सके। – जेएस बिष्ट, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग

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