काशीपुर। मान्यता के मुताबिक मां बाल सुंदरी देवी 52 शक्तिपीठों में से एक हैं। बताया जाता है कि चैती मेला परिसर स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर का जीर्णोद्धार मुगल शासक औरंगजेब ने कराया था। इसलिए मंदिर पर बने तीन गुंबद आज भी मुगल वंशीय शिल्प की याद दिलाते हैं। किंवदंती है कि जब भगवान शिव माता सती के जले हुए शरीर को लेकर पूरे लोक का भ्रमण कर रहे थे तब माता सती के बांह का अंग यहां गिरा और शक्तिपीठ स्थापित हो गया। पिछले चार सौ साल से अधिक समय से यहां उत्तर भारत का प्रसिद्ध चैती मेला लगता है। इस साल यह मेला 22 मार्च से शुरू होगा। 28 मार्च की मध्य रात मां बाल सुंदरी देवी का डोला नगर मंदिर से हजारों श्रद्धालुओं के साथ चैती मंदिर पहुंचेगा। श्रद्धालुओं के दर्शन के बाद चार अप्रैल को मां का डोला वापस चैती मंदिर से नगर मंदिर पंडा आवास चला जाएगा। प्राचीन काल से ही डोले के साथ मजबूत सुरक्षा व्यवस्था रहती है, जो आज भी जारी है। करीब एक माह तक चलने वाले मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
22 से शुरू होगा उत्तर भारत का प्रसिद्ध चैती मेला
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