शिक्षा महकमे के सामने एक और बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। न्यूनतम 18 हजार रुपये वेतनमान देने समेत विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेशभर की भोजनमाताएं 28 और 19 मार्च को हड़ताल पर रहेंगी। ऐसे में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए स्कूलों में एमडीएम कौन बनाएगा, इस पर संशय खड़ा हो गया है। हालांकि, कई जिलों में शिक्षा विभाग ने सभी डिप्टी बीईओ को वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन 16 हजार से अधिक स्कूलों में 25 हजार भोजनामाताओं की अनुपस्थिति में एमडीएम बनाना आसान नहीं होगा। उत्तराखंड भोजनमाता कामगार यूनियन, देहरादून ने 28 और 29 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान किया है। इसमें प्रगतिशील भोजनमाता संगठन से जुड़ी करीब 1000 भोजनमाताएं भी शामिल होंगी। न्यूनतम वेतनमान 18 हजार रुपये देने, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित करने, सभी स्कूलों में गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने, मातृत्व अवकाश और पीएसआई जैसी सुविधाओं का लाभ देने व स्कूलों में उत्पीड़न पर रोक लगाने जैसी मांगों को लेकर भोजनामाताएं लंबे समय से आंदोलित हैं।
इधर, समग्र शिक्षा उत्तराखंड के राज्य परियोजना निदेशक ने सभी जिलों में शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर बताया है कि दो दिवसीय हड़ताल के दौरान स्कूलों में पीएम पोषण योजना (पूर्व में एमडीएम) बाधित होने की आशंका है। ऐसे में सभी को अपने स्तर से स्कूलों में उक्त तिथियों में पीएम पोषण योजना सुचारू रूप से संचालित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनानी होगी। मामले में जिला शिक्षा अधिकारी नैनीताल (बेसिक) एचबी चंद ने भी सभी उप शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है। 28 और 29 मार्च को प्रस्तावित हड़ताल को देखते हुए भोजनमाताओं से पीएम पोषण योजना में सहयोग करने के लिए कहा है। जिन स्कूलों में दो भोजनमाताएं हैं, वहां एक स्कूल में रहेगी। इसके अलावा सभी जिलों को भी वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। – पीके बिष्ट, संयुक्त निदेशक, पीएम पोषण योजना उत्तराखंड
25 हजार भोजनमाताएं रहेंगी हड़ताल पर, स्कूलों में चूल्हा जलाने की चुनौती
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