Wednesday, October 30, 2024
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हल्द्वानी में रोजाना हर व्यक्ति को 31 लीटर कम मिल रहा पानी

कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की आबादी हर साल बढ़ रही है। लेकिन यहां पानी के सीमित स्रोत हैं। इस वजह से कई क्षेत्रों में सालभर पेयजल संकट बना रहता है। पेयजल सप्लाई को लेकर अव्यवस्था भी मुश्किलें बढ़ा रही है। गर्मी के सीजन में पारा चढ़ने पर पानी की किल्लत बढ़ने से लोगों की परेशानियों में भी इजाफा हो जाता है। सरकारी मानकों के अनुसार हर व्यक्ति को रोजाना 135 लीटर पानी मिलना चाहिए। लेकिन हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति करीब 104 लीटर पानी ही मिल रहा है, जो मानक से 31 लीटर कम है।
हल्द्वानी सहित आसपास क्षेत्रों में गौला नदी और नलकूपों के माध्यम से पानी की सप्लाई होती है। जल संस्थान में पंजीकृत घरेलू उपभोक्ताओं के अनुसार करीब 4 लाख आबादी में पानी सप्लाई होती है। पंजीकृत उपभोक्ताओं के परिवार के अलावा किराये पर रह रहे सैकड़ों लोगों तक पानी पहुंचाना होता है। इनके अलावा अस्पताल, होटल सहित करीब 3 हजार व्यावसायिक उपभोक्ता भी हैं। ऐसे में कुल मिलाकर करीब 7 लाख की आबादी पेयजल से जुड़ी है। जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार हल्द्वानी में रोजाना करीब 95 एमएलडी यानी 9.50 करोड़ लीटर पानी की डिमांड है। इस मांग के सापेक्ष जल संस्थान शीशमहल और शीतलाहाट फिल्टर प्लांट से 3.50 करोड़ लीटर पानी का शोधन कर सप्लाई देता है। जबकि करीब 3.80 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति नलकूपों के माध्यम से की जाती है। ऐसे में यहां लोगों को करीब 2.20 करोड़ लीटर कम पानी मिलता है। मांग के सापेक्ष पानी की कम उपलब्धता होने की वजह से क्षेत्र में आपूर्ति प्रभावित रहती है।
अमृत और गौला की पुरानी लाइनें चालू होने से समस्या
जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार उपलब्ध पानी से भी सभी क्षेत्रों में पर्याप्त सप्लाई दी जा सकती है। लेकिन हल्द्वानी में पानी वितरण के पुराने सिस्टम से दिक्कत होती है। इसमें अमृत योजना और गौला की पुरानी लाइनें दोनों संचालित होने को वजह बताया जा रहा है। अमृत योजना तैयार होने के बाद पुरानी लाइनों को बंद कर नई लाइनों से पानी सप्लाई होना था। लेकिन अभी स्थिति ये है कि कई स्थानों पर दोनों लाइनों से पानी वितरण हो रहा है। दोनों लाइनों में पानी चलने का समय अलग-अलग है। इसमें कई उपभोक्ता ऐसे हैं जो दोनों लाइनों का फायदा ले रहे हैं। इस अव्यवस्था की वजह से कुछ लोगों को तो भरपूर पानी मिल रहा है, जबकि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों को पेयजल संकट झेलना पड़ रहा है।

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