उत्तराखंड के कर्मचारियों और पेंशनरों को गोल्डन कार्ड पर विभिन्न बीमारियों के इलाज में कैशलेस सुविधा मिल रही है। राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) के तहत डेढ़ साल में 35 हजार से अधिक कर्मचारियों व पेंशनरों ने इलाज कराया है। इसमें 815 हृदय रोग से संबंधित हैं। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार एक जनवरी 2021 से 31 अक्तूबर 2022 तक 35 हजार से अधिक कर्मचारियों व पेंशनरों ने कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है। इस पर सरकार ने लगभग 88 करोड़ रुपये खर्च किए। एसजीएचएस योजना के तहत 4.45 लाख कार्मिकों के गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं। कार्ड के माध्यम से आयुष्मान योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में सभी प्रकार के रोगों के इलाज की कैशलेस सुविधा मिल रही है। आयुष्मान योजना में सामान्य परिवारों को प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा है, जबकि राजकीय कर्मचारियों व पेंशनरों और उनके आश्रितों को इलाज के लिए खर्च की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
एसजीएचएस योजना के तहत कर्मचारी व पेंशनरों को सरकारी अस्पताल से रेफर करने की शर्त नहीं है। गोल्डन कार्ड पर कर्मचारी व पेंशनर सीधे ही किसी भी सूचीबद्ध अस्पताल में इलाज करा सकते हैं। आईपीडी में कैशलेस इलाज के लिए 88 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि ओपीडी के तहत 30904 लाथार्थियों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति के रूप में 55.56 करोड़ खर्च किए गए हैं। कर्मचारियों व पेंशनरों को गोल्डन कार्ड के माध्यम से इलाज में असीमित खर्च की सुविधा है। एसजीएचएस के तहत डेढ़ साल में 35 हजार से अधिक कर्मचारियों व पेंशनरों को कैशलेस उपचार का लाभ लिया है। – डीके कोटिया, अध्यक्ष, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण
उत्तराखंड में डेढ़ साल में 35 हजार कर्मचारियों व पेंशनरों ने कराया कैशलेस इलाज
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