उत्तराखंड में वन क्षेत्रों में हुए धार्मिक अतिक्रमण को चिन्हित करने की कार्रवाई जारी है। शासन के निर्देश पर इस काम के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए सीनियर आईएफएस डॉ.पराग मुधकर धकाते ने तीन दिन से कुमाऊं में डेरा डाल रखा है, जहां वे प्रभागवार अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं। अभी तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उनके अनुसार 80 प्रतिशत धार्मिक अतिक्रमण के मामले कुमाऊं के पश्चिमी वृत्त में सामने आए हैं। धार्मिंक अतिक्रमण को चिन्हित करने की इस कार्रवाई में सैटेलाइट इमेजरी की भी मदद ली जा रही है। प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वन क्षेत्रों में हुए धार्मिक अतिक्रमणों को चिन्हित कर कार्रवाई की जा रही है। इस संबंध में नोडल अधिकारी डॉ.धकाते ने बताया कि अभी तक वह पांच वन प्रभागों के प्रभागीय वनाधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं।
हल्द्वानी, रामनगर, बाजपुर, जसपुर, खटीमा, सितारंगज से लेकर बनबसा तक सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र हैं। इनमें सर्वाधिक धार्मिक अतिक्रमण हुए हैं। इस कार्रवाई के दौरान अभी तक 40 मामलों में नोटिस जारी किए जा चुके हैं। संबंधित पक्षों से जवाब मांगा गया है। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। डॉ.धकाते ने बताया कि धार्मिंक अतिक्रमण को चिन्हित करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी की भी मदद ली जा रही है। इसमें जंगल के बीच या आसपास जहां कोई निर्माण दिख रहा है, उसका मौके पर कर्मचारियों को भेजकर भौतिक सत्यापन भी कराया जा रहा है। पिछले दो दिनों में उन्होंने वन प्रभाग हल्द्वानी, रामनगर, तराई पूर्व, तराई पश्चिमी और तराई केंद्रीय वनों प्रभागों की समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में चिन्हिकरण की इस कार्रवाई में हफ्ते से लेकर 10 दिन तक का समय लग सकता है। उन्होंने बताया कि इसके बाद ही सही तस्वीर सामने आ पाएगी। उन्होंने बताया कि चिह्नीकरण की कार्रवाई पूरी होते ही अवैध अतिक्रमणों को ध्वस्त करने की कार्रवाई तेजी की जाएगी।
वनों में 80 प्रतिशत धार्मिक अतिक्रमण कुमाऊं में, कार्रवाई को नोडल अधिकारी ने डाला डेरा
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