पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस खलीलुर्रहमान रमदे गुरुवार को हरिद्वार में हुए कार्यक्रम में पहुंचे। खलीलुर्रहमान वही शख्स हैं, जिनके प्रयास से भारत को शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव पर अंग्रेजों के जमाने में चले मुकदमे के ट्रायल की कॉपी मिल सकी थी। फांसी देने संबंधित कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए थे।वर्ष 2009 में ट्रायल की कॉपी गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को मिली थी। उस समय तक ट्रायल की कापी भारत सरकार के पास भी उपलब्ध नहीं थी। इस ट्रायल का अनुवाद करने वाले लक्ष्मण शर्मा ने बताया कि जस्टिस खलीलुर्रहमान और हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी विवि के तत्कालीन कुलपति स्वतंत्र कुमार के प्रयास से ट्रायल की कापी गुरुकुल कांगड़ी विवि को 2009 में प्राप्त हो सकी थी।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव पर चले केस के ट्रायल के हिंदी अनुवाद के लिए तब पाकिस्तान के नागरिक लक्ष्मण शर्मा को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में लाया गया था। लक्ष्मण शर्मा ने 3.5 साल में 1667 पन्नों के इस ट्रायल का अनुवाद उर्दू से हिंदी में किया था। लक्ष्मण शर्मा तब से हरिद्वार में ही रह रहे हैं। इस ट्रायल के हिंदी में अनुवाद होने के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने संबंधित कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए थे। अक्तूबर 2016 में उर्दू से हिंदी अनुवाद के बाद इस ट्रायल के डिजिटल संस्करण का लोकार्पण उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया था। ज भी यह ट्रायल गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। कोई भी व्यक्ति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आकर ट्रायल की कापी को पढ़ सकता है। लक्ष्मण कहते हैं, यह ट्रायल गुरुकुल कांगड़ी विवि हरिद्वार और उत्तराखंड को प्राप्त होना एक गर्व की बात है।
डाक से भेजी गई थी ट्रायल की कॉपी
गुरुकुल कांगड़ी के तत्कालीन कुलपति स्वतंत्र कुमार पाकिस्तान गए थे। जहां उनकी मुलाकात पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खलीलुर्रहमान रमदे से हुई थी। स्वतंत्र कुमार ने शहीदों के केस ट्रॉयल की कापी दिलवाने में मदद का आग्रह किया था। करीब चार महीने बाद ट्रायल की कापी डाक से गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय पहुंच गई।
पाकिस्तान के रिटायर जज जस्टिस खलीलुर्रहमान रमदे ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की भिजवाई थी केस हिस्ट्री, खुले थे कई राज
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