सुशीला तिवारी अस्पताल से लगे स्वामी राम कैंसर अस्पताल में उपलब्ध होने के बाद भी मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। इसकी शिकायत देहरादून तक पहुंची है। इसे देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन मामले की जांच में जुट गया है। कुमाऊं के एकमात्र कैंसर अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से मरीजों का इलाज होता था। कार्ड से ही महंगी दवा मंगाई जाती थीं जिससे कार्ड की लिमिट जल्द खत्म हो जा रही थी। इसके बाद मरीजों को दवा अपनी जेब से मंगानी पड़ रही थी। जब ऐसे मामले लगातार मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के पास पहुंचे तो कैंसर अस्पताल प्रबंधन से जरूरी दवाओं की लिस्ट मांगी। जिसके बाद दवाओं के टेंडर कराए गए।
टेंडर के बाद आयुष्मान कार्ड के मुकाबले बहुत की कम कीमतों में कॉलेज प्रबंधन को दवाएं मिलीं। कॉलेज प्रबंधन ने दवा कैंसर अस्पताल प्रबंधन को दे दीं और सभी भर्ती मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराने को कहा। लेकिन करीब 15 दिन बाद भी मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। कैंसर दवा के स्टोर इंचार्ज दिगपाल सिंह अधिकारी ने बताया कि दवा करीब 15 दिन पहले मिल गई थी लेकिन बांटनी शुरू नहीं की गई है।
खुला है निजी मेडिकल स्टोर: कैंसर अस्पताल में प्राइवेट मेडिकल स्टोर खोला गया है। जहां हर तरह की दवा मिल रही है। जिस कंपनी का मेडिकल स्टोर खोला गया है उसे किराए के करोड़ों रुपये मेडिकल कॉलेज को देने हैं।
आयुष्मान कार्ड से खेल
आयुष्मान कार्ड से जो दवा मंगाई जाती है उन पर एमआरपी काफी ज्यादा दर्ज होती है, जबकि उनकी वास्तविक कीमत काफी कम होती है। एमआरपी और वास्तविक कीमत के बीच कमीशन का ‘बड़ा खेल’ होता है, जिसमें कई लोगों की हिस्सेदारी बताई जाती है।
कैंसर की दवाओं के टेंडर कराने के बाद दवाएं अस्पताल प्रबंधन को उपलब्ध कराई हैं। बावजूद इसके मरीजों को दवा नहीं मिलने का मामला सामने आया है। इसे लेकर कैंसर अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक कर समाधान निकाला जा रहा है। – डॉ.अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी।
यह तो हद है! कैंसर के मरीज भटक रहे और दवाएं सुशीला तिवारी अस्पताल के स्टोर में पड़ीं हैं डंप
RELATED ARTICLES