Saturday, November 2, 2024
Homeउत्तराखण्ड67 साल बाद भी पहाड़ की लाइफ लाइन बना है चल्थी पुल

67 साल बाद भी पहाड़ की लाइफ लाइन बना है चल्थी पुल

चंपावत। चल्थी का पुल इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। खास वास्तु वाला यह पुल दो जिलों की लाइफ लाइन है। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना यह पुल 67 साल बाद भी मैदान से पहाड़ को जोड़ने का सेतु बना है। देश की आजादी के बाद बने इस पुल के संकरा होने से यहां से एक समय में सिर्फ एक ही वाहन गुजरता है। एनएच पर स्थित चल्थी में बना यह पुल बगैर किसी खंभों के सहारे खड़ा है। पुल का पूरा लोड उसके ऊपरी (धनुष आकार वाले ढांचे पर) हिस्से पर है। लोनिवि के ईई विभोर सक्सेना बताते हैं कि खूबसूरती के अलावा मजबूती इस कदर है कि 1955 में बना चल्थी का पुल 67 साल बाद भी आवाजाही में उपयोग में आ रहा है। आरसीसी स्ट्रक्चर पर आधारित 110 मीटर लंबा और दस फीट चौड़ा यह पुल अब भी पूरे दमखम के साथ खड़ा है। कम संकरा होने से इस पुल से एक समय में एक ही वाहन गुजर सकता है। धौलीगंगा जल विद्युत परियोजना की कई भारी-भरकम मशीनें और दूसरे उपकरण भी इस पुल से गुजरे। आपदाओं और अतिवृष्टि का बहादुरी से मुकाबला करने वाले इस पुल को निर्माण के बाद कभी मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ी। सिर्फ दो बार इसमें रंग-रोगन किया गया।
लोनिवि के सहायक अभियंता ने बनाया था डिजायन
चंपावत। चल्थी में बने इस पुल का खूबसूरत डिजाइन पहाड़ पर काम करने वाले लोहाघाट लोनिवि के सहायक अभियंता पीएन मिश्रा ने बनाया था। उन्होंने इसका निर्माण भी कराया था। उस वक्त लोनिवि का लोहाघाट कार्यालय बरेली डिविजन के अंतर्गत आता था।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments