आकाश तत्व पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी में आईआईटी कानपुर के प्रो. मुकेश शर्मा ने शोध के आधार पर कहा कि वर्तमान में वायु की गुणवत्ता बेहद खराब है। पूरे देश, विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा को दूषित होने से बचाना है। इसके लिए हमें कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने की विभिन्न विधियों पर काम करना होगा। उत्तरांचल विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन के तीसरे दिन देशभर के वैज्ञानिकों ने आधुनिक तकनीक और जीवनशैली का आकाश पर प्रभाव, प्रदूषण का अल्पीकरण, आकाश तत्व का संरक्षण कर विकास को दीर्घकालिक व अनुकूल बनाने पर व्याख्यान दिए। जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय, अमेरिका के प्रोफेसर जे. शुक्ला ने कहा कि यदि समय रहते जलवायु परिवर्तन को लेकर कारगर कदम नहीं उठाए गए तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉ. अंकुश कोहली ने कहा कि बादलों में आयोनाइजेशन, क्लाउड सीड और तापमान में वृद्धि होने से पूरी दुनिया में बादल फटने, बिजली गिरने की घटनाओं में इजाफा हुआ है।
आईआईजी मुंबई की प्रोफेसर गीता विचारे ने सूर्य के भीतर चल रही गतिविधियों के कारण होने वाले विकिरण और प्लाज्मा के रूप में मिलने वाली आवेशित कणों की सोलर विंड के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी दी। कहा कि इसमें इतनी ऊर्जा होती है कि वह हमारे संचार तंत्र, जीपीएस, तेल संयंत्रों, पावर ग्रिड जैसे तंत्र को तबाह कर सकते हैं। नासा के वैज्ञानिक डॉ. एन गोपाल स्वामी ने सूर्य पर दुनियाभर में हो रहे शोध और सूर्य की घटनाओं का पृथ्वी पर प्रभावों के बारे में बताया। आईआईए के प्रो. सुविनॉय दास ने चिताकाश पर वैज्ञानिक व भारतीय दर्शन को जोड़ते हुए आकाश तत्व का महत्व समझाया। प्रो. डॉ. रमा जयसुंदर, प्रो. अमित गर्ग और डॉ. मधुलिका ने भी संबोधित किया। केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. राजेश एस गोखले, विज्ञान भारती के सुमित मिश्रा, पृथ्वी विज्ञान विभाग के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन, डॉ. शांतनु भटवाडेकर, विवि के कुलाधिपति जितेंद्र जोशी, कुलपति डॉ. सतबीर सहगल, प्रो. धर्मबुद्धि आदि मौजूद थे।
वायु की गुणवत्ता बेहद खराब, वैज्ञानिकों ने कहा- प्रदूषण रोकने को कार्बन उत्सर्जन को सीमित करना जरूरी
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