कल तक सिर्फ हवाई फायरिंग और छर्रे लगने से बाघिन की मौत का दावा कर रहा वन विभाग बुधवार को बैक फुट पर आ गया। अब विभाग का कहना है कि नौ राउंड हवाई फायर से जब बाघिन नहीं भागी तो वन आरक्षी धीरज सिंह ने 12 बोर की बंदूक से दो राउंड जमीन पर फायर किए। एक राउंड की फायर के छर्रे बाघिन के दाहिने जांघ पर लग गए। इस मामले में वन आरक्षी पर केस दर्ज कर उन्हें पलेन रेंज से संबद्ध कर दिया है। डीएफओ कालागढ़ ने पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर दी है।
अल्मोड़ा के मौलेखाल ब्लॉक के मरचूला में सोमवार रात बाजार में घूम रही बाघिन की गोली लगने से मौत हो गई थी। वन विभाग छर्रे लगने से मौत का दावा कर रहा था। बुधवार को कॉर्बेट पार्क के निदेशक डॉ. धीरज पांडेय ने बताया कि 14 नवंबर रात करीब 8.15 बजे कालागढ़ टाइगर रिजर्व पार्क के अंतर्गत बाघिन मरचूला बाजार में घुसकर हिंसक हो गई थी। मंदाल रेंज के रेंजर तत्काल स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे थे।
हिंसक हुई बाघिन से जानमाल की रक्षा के लिए 315 बोर की राजकीय राइफल से नौ राउंड हवाई फायर कर उसे मरचूला बाजार और आबादी क्षेत्र से जंगल की ओर खदेड़ने की कोशिश की। उसके बाद भी बाघिन बार-बार लोगों के घरों और दुकानों में घुसने का प्रयास कर रही थी। एक समय ऐसी स्थिति आई जब बाघिन घरों के बीच में पहुंच गई और बहुत हिंसक हो गई। बाजार में अनगिनत लोग छतों में खड़े थे। इस वजह से हवाई फायर नहीं किए जा सकते थे। कॉर्बेट पार्क के निदेशक के अनुसार जनता की सुरक्षा के उद्देश्य से वन आरक्षी धीरज सिंह ने 12 बोर की बंदूक से दो राउंड नीचे जमीन पर फायर किए। इसमें से एक राउंड की फायर के छर्रे बाघिन के दाहिने जांघ पर लग गए। घटना की सूचना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड को उसी समय दी गई। उन्होंने प्रकरण की दो दिन के भीतर प्राथमिक जांच के निर्देश दिए हैं।
एनटीसीए के मानकों के तहत पोस्टमार्टम
कॉर्बेट पार्क के निदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की एसओपी के मानकों के अनुसार गठित कमेटी के सदस्यों और कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ नीरज शर्मा की मौजूदगी में बाघिन के शव का पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दुष्यंत शर्मा और डॉ. हिमांशु पांगती ने किया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट
कॉर्बेट पार्क के निदेशक ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बाघिन की मृत्यु दाहिने पैर की जांघ में छर्रे लगने पर शरीर से बहुत अधिक खून निकलने से हुई थी।
बाघिन के लीवर में लगभग 10 सेमी का एक सेही का कांटा भी पाया गया। इससे लीवर को भी काफी क्षति हो गई थी।
बाघिन का पेट और आंतें पूरी तरह खाली थीं।
उसके फेफड़ों में भी क्षति हुई है।
बाघिन के दाहिने जांघ में 12 बोर की बंदूक के छर्रे पाए गए।
प्राथमिक जांच के आधार पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धाराओं के तहत बाघिन की मृत्यु से संबंधित केस टू वन आरक्षी धीरज सिंह के विरुद्ध दर्ज किया गया। वन आरक्षी को कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की पलेन रेंज कार्यालय संधीखाल से संबद्ध कर दिया गया है। डीएफओ कालागढ़ ने इस केस की जांच के लिए एसडीओ हरीश नेगी को जांच अधिकारी नामित किया है। इस प्रकरण की जांच जारी है। – डॉ. धीरज पांडेय, निदेशक, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क
बाघिन की मौत का मामला: वन आरक्षी पर केस दर्ज, वन विभाग ने माना- जमीन पर फायरिंग के दौरान लगे थे बाघिन को छर्रे
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