रुद्रपुर। पंचायत राज विभाग के कर्मचारियों को उसके रेखीय विभाग ग्राम्य विकास विभाग के अधीन कार्य करने के शासन के आदेश ने त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था को भी प्रभावित करने का प्रयास किया है। लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायतों में कार्यरत कर्मचारियों में इस आदेश के खिलाफ कड़ा रोष है। पंचायत राज विभाग के आक्रोशित कर्मचारियों का कहना है कि उनका विभाग मूल विभाग है जबकि ग्राम्य विकास विभाग उसका रेखीय (संबंधित) विभाग है ऐसे में उनका रेखीय विभाग में कार्यात्मक विलय करना गलत है। ऊधम सिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी आठ लाख नवासी हजार से अधिक होने के बावजूद यहां वीपीडीओ के सृजित पद सिर्फ 27 हैं जिनमें से चार पद खाली हैं। इस कारण जिले की 376 ग्राम पंचायतों में से एक वीपीडीओ के हिस्से में 14 ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी आ रही है। यह समस्या सुलझाने के लिए जिले की 27 न्याय पंचायतों पर दो-दो वीपीडीओ की तैनाती होनी थी।
जिले से इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया था लेकिन शासन ने आदेश जारी कर नए वीपीडीओ की नियुक्ति के बजाय ग्राम्य विकास विभाग में कार्यरत वीडीओ को ही इसकी जिम्मेदारी दी है। इसके बाद वीपीडीओ को बीडीओ के निर्देशन में काम करना पड़ेगा। इसे वीपीडीओ अपने आत्मसम्मान से जुड़ा सवाल मान रहे हैं। उनका कहना है कि कार्यात्मक विलय से उनके हित सुरक्षित नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि पंचायत राज विभाग के ब्लॉक स्तरीय अधिकारी एडीओ पंचायत को भी बीडीओ के अधीन कार्य करना पड़ रहा है। उत्तराखंड वीपीडीओ एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष विनोद गिरी गोस्वामी कहते हैं कि 73वें संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज व्यवस्था में पंचायतों के गठन को सांविधानिक मान्यता दी गई थी। अब उसके ही विभाग पंचायत राज विभाग के कर्मचारियों को उसके रेखीय विभाग के अधीन कार्य करने का आदेश दिया गया तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा, यह पंचायती राज व्यवस्था के सम्मान के विरुद्ध है।
सीडीओ ने किया मनाने का प्रयास, लेकिन वीपीडीओ अड़े रहे
रुद्रपुर। ज्ञापन देने पहुंचे वीपीडीओ को सीडीओ विशाल मिश्रा ने ज्ञापन लेने से पहले मनाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने। आक्रोशित वीपीडीओ ने कहा कि बृहस्पतिवार से विकास भवन में धरना देंगे। सीडीओ ने कहा कि धरना देने पर नो वर्क नो पे की तर्ज पर वेतन काटा जा सकता है।
शासन के आदेश ने त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को भी हिलाया
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