गणतंत्र दिवस की परेड में आज पूरा देश उत्तराखंड की लोक कला ऐपण से रूबरू होगा। कर्तव्यपथ पर जब उत्तराखंड की झांकी निकलेगी तो ऐपण की चौकियों व बेलों के चटक रंग पूरे देश को आकर्षित करेंगे और लोग इस लोककला को जानेंगे। उत्तराखंड की झांकी में कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करते हुए बारहसिंघा, घुरल, हिरन के अलावा अल्मोड़ा का जागेश्वर मंदिर समूह दिखाया गया है। ऐपण गर्ल के नाम से मशहूर रामनगर निवासी मीनाक्षी खाती के निर्देशन में मंदिर के किनारों को ऐपण की बेलों से सजाया गया था। मीनाक्षी ने बताया कि इस बार गणतंत्र दिवस के दिन ही वसंत पंचमी भी पड़ रही है। इसे ध्यान में रखते हुए झांकी में बेलों के साथ सरस्वती चौकी भी बनाई गई। परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल के बाद झांकी के अग्र भाग में लिखे ‘उत्तराखंड’ को वसोधारा ऐपण से सजाया गया। झांकी में कुमाऊं के पारंपरिक छोलिया नृत्य और बेडू पाको की धुन भी शामिल है। सूचना विभाग के निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में उत्तराखंड से 18 कलाकारों को झांकी में शामिल है।
वसोधारा ऐपण
वसोधारा का निर्माण मुख्यत: हवन कुंडों या पूजा की जगहों पर किया जाता है। साथ ही घर के अंदर प्रवेश करने वाली देहली पर यह आदर सत्कार और खुशहाली का प्रतीक है। वसोधारा ऐपण में गेरू पर बिस्वार (पीसे हुए चावल का घोल) से विषम संख्याओं में पंक्तियों का निर्माण किया जाता है। कुछ क्षेत्रों में इन्हें धौड़ या धौड़े भी कहा जाता है। इनके चित्रण के बिना कोई भी ऐपण अधूरा माना जाता है।
सरस्वती चौकी
देवी सरस्वती की उपासना के लिए खासकर एक तरानुमा निर्माण किया जाता है। इसमें पांच कोण बनते है। इसे पंचशिखा, पंचानन, स्वस्तिक कहा जाता है। इस आकृति को सृष्टि की रचना का सूचक भी माना जाता है। ये पंचकोण पंचतत्वों-पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्नि के द्योतक भी है। वसंत पंचमी पर विशेष रूप से इस चौकी का निर्माण किया जाता है।
ऐपण क्या हैं
ऐपण कुमाऊं की समृद्ध और गरिमापूर्ण परंपरा है। इसे गेरू (लाल मिट्टी जो पानी के घोल से तैयार किया जाता है) पर बिस्वार (चावल के आटे का घोल) से अलग-अलग बेलें और चौकियां बनाई जाती हैं। धार्मिक अनुष्ठानों, नामकरण संस्कार, विवाह, जनेऊ आदि जैसे समारोहों की शुरुआत ऐपण बनाने से की जाती है। यह माना जाता है कि ऐपण सकारात्मकता और समृद्धि लाता है।
ऐपण का दायरा बढ़ा
इस प्राचीन कला की महत्व को युवा जानने लगे हैं। जो कला घरों के आंगन और मंदिरों तक ही सीमित थी, अब आधुनिक कला और फैशन की दुनिया में पहचानी जा रही है। हाल के वर्षों में आकर्षक ऐपण डिजाइनों को पोशाक, पेंटिंग कैनवास, डायरी, कॉफी मग, बैग, ट्रे, नेम प्लेट और अन्य वस्तुओं पर बनाया जाने लगा है।
कर्तव्य पथ पर उत्तराखंड की झांकी में दिखेगी लोक कला की छाप, ऐपण से रूबरू होगा पूरा देश
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