सितारगंज। द किसान सहकारी चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देने के फैसले से आक्रोशित किसानों ने धरना-प्रदर्शन कर इस निर्णय का विरोध किया। किसानों ने चीनी मिल में प्रधान प्रबंधक कार्यालय के सामने धरना भी दिया। धरनास्थल पर बुधवार को हुई सभा में संयुक्त किसान मोर्चा के उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश (तराई क्षेत्र) प्रभारी बलजिंदर सिंह मान ने कहा कि चीनी मिल में उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश के किसानों के भी शेयर हैं। ऐसे में अंशधारकों की सहमति के बिना चीनी मिल को पीपीपी मोड पर नहीं दिया जा सकता। सरकार ने फैक्टरी में करोड़ों रुपये के मरम्मत कार्य कराए हैं। अब फैक्टरी बेहतर संचालित भी हो रही है। उसके बावजूद पीपीपी मोड पर फैक्टरी को दे देना किसानों के हक पर कुठाराघात है। कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रत्याशी नवतेज पाल सिंह ने कहा कि चीनी मिल को निजीकरण से बचाने के लिए हरसंभव उपाय किए जाएंगे।
किसानों ने कहा कि पीपीपी मोड के बहाने मिल को लीज पर दे दिया गया। पूरी प्रक्रिया में किसानों को विश्वास में नहीं लिया गया। किसानों की जमीन पर बनी मिल को निजी हाथों में सौंपना गलत है जबकि किसान लंबे समय से सहकारी क्षेत्र में मिल चलाने की मांग कर रहे हैं। किसानों का गन्ना अब औने-पौने दामों पर खरीदा जाएगा। किसानों ने कहा कि मांग पूरी होने तक आंदोलन किया जाएगा। धरने पर भाकियू चढूनी के प्रदेश अध्यक्ष गुरसेवक सिंह महार, भाकियू जिलाध्यक्ष गुरसेवक सिंह, सीटू जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह, जगीर सिंह, साहब सिंह बिज्टी, जसवंत सिंह, शक्तिवीर सिंह, रामप्रीत सिंह, शंकर यादव, योगेंद्र यादव, सुरेंद्र सिंह आदि थे।
चीनी मिल बचाने को संघर्ष मोर्चा गठित
सितारगंज। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में चीनी मिल बचाओ संघर्ष मोर्चा गठित किया गया। इसमें बलजिंदर सिंह मान अध्यक्ष, एडवोकेट योगेंद्र यादव महासचिव, जसवंत सिंह जस्सा कोषाध्यक्ष, गुरसेवक सिंह महार, लोहर सिंह राणा, गुरसेवक सिंह खटीमा संरक्षक बने। इस मोर्चे के तहत किसान चीनी मिल की लड़ाई लड़ेंगे।
जलाशयों के ऊपरी क्षेत्र पर बसे भूमिहीनों को मिले मालिकाना हक
सितारगंज। करीब छह दशकों से तराई में खटीमा से लेकर जसपुर तक सात जलाशयों के डूब क्षेत्र से बाहर बसे लाखों भूमिहीन लोगों ने भूमि पर मालिकाना हक दिलाने में सहयोग मांगा। इसके लिए ग्रामीणों ने संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों को ज्ञापन दिया। कहा कि उनके गांवों को ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त है। राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बिजली, जल, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सड़क आदि की सुविधाएं भी सरकार ने दी हैं लेकिन भूमि पर मालिकाना हक नहीं मिला। इस कारण वन विभाग आए दिन उन्हें अतिक्रमणकारी बता हटाने की धमकी देता है। इससे ग्रामीण परेशान हैं। दिल्ली की मैसर्स जेजीएन शुगर बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड को 30 साल के लिए चीनी मिल लीज पर देने की जानकारी मिली है। अभी एमओयू की प्रति उन्हें नहीं मिली है। इसलिए शर्त और नियमों की जानकारी नहीं है। जैसे ही इस संबंध में कोई आदेश या सूचना मिलेगी तो किसानों को अवगत कराएंगे। पेराई सत्र समाप्त होने के बाद मिल को शासन के निर्देशानुसार कंपनी को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। – राजीव लोचन शर्मा, प्रधान प्रबंधक, चीनी मिल, सितारगंज
चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देने का विरोध
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