अल्मोड़ा। कोरोना की दहशत शांत होने के बाद लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है। खानपान के तौर-तरीके बदले हैं और पौष्टिक आहार पर लोग ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। लोगों ने दैनिक जीवन में फल, पौष्टिक सब्जियों को शामिल किया है जिससे बाजार में इनकी खासी मांग है। वहीं अस्पतालों में जांचें भी बढ़ी हैं। लोग अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करा रहे हैं। कोरोना काल में जिला अस्पताल में जहां 80 से 100 मरीजों की रक्त के साथ ही बीपी, शुगर सहित अन्य जांच होती थी वहीं अब हर रोज 220 से अधिक लोगों की जांच हो रही है। इनमें से 50 प्रतिशत लोग सजग होकर स्वयं बीपी, शुगर और दिल की जांच के लिए पहुंच रहे हैं। कोरोना ने स्वास्थ्य सेवाओं को भी कुछ हद तक बेहतर करने का काम भी किया है। जिले में स्थित मेडिकल कॉलेज में आरटीपीसीआर जांच के साथ सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा मिली है। अब यहां अल्मोड़ा के साथ ही पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर जिले से भेजे गए सैैंपल की आरटीपीसीआर जांच और जीनोम सिक्वेंसिंग हो रही है।
मेडिकल कॉलेज में संचालित हुआ आईसीयू
अल्मोड़ा। मेडिकल कॉलेज का संचालन तो दो वर्ष पूर्व किया गया लेकिन यहां आईसीयू का संचालन नहीं हो सका था। लेकिन अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने यहां आईसीयू का संचालन भी शुरू कर दिया है। अब यहां पहुंचने वाले मरीजों को आईसीयू के साथ ही वेंटिलेटर की सुविधा भी मिल रही है। यहां 40 से अधिक वेंटिलेटर संचालित हो रहे हैं।
सैनिटाइजर और मास्क की खपत हुई कम
अल्मोड़ा। कोरोना काल में मास्क और सैनिटाइजर की खासी मांग थी जो अब 90 प्रतिशत से अधिक घट गई है। नगर स्थित 40 से अधिक दवा की दुकानों से कोरोना काल में सैनिटाइजर और मास्क की हर रोज तीन लाख रुपये से अधिक की बिक्री हुई। दवा विक्रेताओं के अनुसार वर्तमान में इसकी बिक्री न के बराबर है। हालात यह हैं कि इक्का-दुक्का लोग कभी-कभार सैनिटाइजर खरीद रहे हैं। ऐसे में उन्होंने नैनिटाइजर मंगाना बंद करना पड़ा है।
चिकित्सकों की नियुक्ति में पिछड़ा विभाग
अल्मोड़ा। भले ही कोरोना काल में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के दावे किए गए लेकिन अल्मोड़ा जिला अब भी चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। यहां स्थित 9 सीएचसी, 7 पीएचसी और 59 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित अन्य छोटे अस्पतालों में चिकित्सकों के 290 पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां 122 चिकित्सकों के पद वर्षों से खाली हैं। ऐसे में मरीजों को अब भी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की दौड़ लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
कोरोना ने हमें कई सबक दिए हैं। खानपान में बदलाव आया है। परिवार के लोगों की पौष्टिकता का ध्यान रखते हैं। अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच को गंभीर हैं। – संतोष बिष्ट, अल्मोड़ा।
कोरोना महामारी सभी के लिए सबक है। हमें अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करानी चाहिए। हल्का बीमार होने पर अस्पताल पहुंचकर जांच करता हूं। – विरेंद्र पथनी, अल्मोड़ा।
कोरोना काल में सैनिटाइजर और मास्क की खासी मांग थी। अब इसकी मांग बेहद कम हो गई है। इसकी बिक्री में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। – बीएस मनकोटी।
मास्क और सैनिटाइजर बिकना लगभग बंद हो गए हैं। ऐसे में इसे मंगाना छोड़ दिया है। इक्का-दुक्का लोग ही इसे खरीदने दुकान पहुंचते हैं। – राजेंद्र ऐरी।
कोरोना ने लोगों की जीवनशैली में बदलाव किया है। अस्पतालों में नियमित जांच का दायरा बढ़ा है। वहीं व्यवस्थाओं का विस्तार भी हुआ है। मेडिकल कॉलेज में आरटीपीसीआर जांच और जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा शुरू हुई है। चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के प्रयास हो रहे हैं। – डॉ. आरसी पंत, सीएमओ, अल्मोड़ा।
कोरोना ने बदली जीवनशैली, अस्पतालों में बढ़ी 50 फीसदी से अधिक जांच
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