Wednesday, October 30, 2024
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हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा के सपने को सहेज नहीं पाया प्रदेश, अनदेखी का शिकार हुई योजनाएं

दूध उत्पादन से किसानों की आय बढ़ाने के दावों के बीच 44 साल पहले खुला विदेशी पशु प्रजनन केंद्र की पास 398 एकड़ भूमि खड़ी झाड़ियां हकीकत बयां कर रही हैं। भराड़ीसैंण में इस केंद्र को खोलने के लिए तब दो करोड़ रुपये खर्च हुए थे लेकिन किसानों को लाभ धेले का नहीं हुआ। यह केंद्र उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा का सपना था। किसानों को उन्नत नस्ल के मवेशी उपलब्ध कराने के लिए 15 नवंबर 1979 में इस केंद्र की स्थापना हुई थी। तब यह एशिया का सबसे बड़ा पशु प्रजनन केंद्र था। केंद्र के लिए सरकार ने डेनमार्क से लाखों रुपये खर्च कर जर्सी सांड़ और गाय मंगवाई थीं। वर्ष 1995 तक इस केंद्र ने बेहतर काम किया और उन्नत किस्म के कुछ सांड़ 15-15 हजार रुपये में बेचे गए।
खाली पड़ी जमीन पर झाड़ियां उगी हुई
केंद्र में आठ साल पहले तक 190 पशु थे। इनमें 33 गाय, 65 बछिया, 57 सांड व अन्य पशु थे। उसके बाद यह केंद्र सरकारी सिस्टम की लापरवाही का शिकार हो गया। सरकार से बजट नहीं मिलने के कारण यह केंद्र बदहाल हो गया है। पशु केंद्र की कुछ नाली भूमि पर कार्यालय, कर्मचारियों के निवास और गोशाला है। बाकी खाली पड़ी जमीन पर झाड़ियां उगी हुई हैं। अब यहां एक भी मवेशी नहीं है। परवाड़ी के पूर्व ग्राम प्रधान जोगेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान में यहां पर एक भी गाय और सांड नहीं रह गया है। सिर्फ दो कर्मचारी केंद्र की देखभाल कर रहे हैं।
छह लाख की मशीन पर 18 लाख की देनदारी
केंद्र के लिए 1990 में चारा उगाने वाली फामेटा मशीन खरीदी गई थी। जर्मनी से 6 लाख रुपये में खरीदी गई इस मशीन से कुछ समय तक तो लाभ मिला, लेकिन कस्टम ड्यूटी का भुगतान न होने से मशीन को वर्ष 1994 में सीज कर दिया गया था। कस्टम ड्यूटी और जुर्माना मिलाकर कुल 18 लाख की देनदारी बनी थी। अब यह मशीन दिवालीखाल-भराड़ीसैंण मोटर मार्ग किनारे पड़ी हुई है।
हेमवती नंदन बहुगुणा की पहल पर खुला था केंद्र
वर्ष 1975 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा भराड़ीसैंण पहुंचे थे। उन्होंने यहां पशुपालन का बड़ा संस्थान खोलने की बात कही थी। उनके सपने को वर्ष 1979 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. शिवानंद नौटियाल ने भराड़ीसैंण में विदेशी पशु प्रजनन केंद्र स्थापित कर साकार किया था। भराड़ीसैंण के विदेशी पशु प्रजनन केंद्र में अब एक भी पशु नहीं है। डेयरी को ऋषिकेश शिफ्ट कर दिया गया है। भविष्य में वहां चारा ट्रेनिंग सेंटर बनाने की योजना है। इस सेंटर से क्षेत्र के लोगों को चारा उगाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। – डॉ. राजेंद्र सिंह मठपाल, इंचार्ज विदेश पशु प्रजनन केंद्र भराड़ीसैंण।

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