पंतनगर। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में वर्ष 1998 में सहायक लेखाकार के पद पर भर्ती होकर उप नियंत्रक के पद तक पहुंचे सत्यप्रकाश कुरील फर्जी जाति और स्थायी निवास प्रमाणपत्र मामले में घिर गए हैं। कोर्ट की ओर से वर्ष 2018 में मिला स्टे खारिज हो गया है। अब विवि प्रशासन को कार्रवाई को लेकर फैसला लेना है। इससे पहले भी जांच में फर्जी प्रमाणपत्र पाए जाने पर कनिष्ठ शोध अधिकारी को वर्ष 2019 में बर्खास्त किया जा चुका है। दिसंबर 2017 में विवि के कुछ कर्मचारियों ने कुरील के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कुलाधिपति, कुलपति और निदेशक प्रशासन को शिकायती पत्र भेजकर जाति और निवास प्रमाणपत्र फर्जी बताते हुए उनकी नियुक्ति निरस्त करने की मांग की थी। शासन के निर्देश पर हुई जांच में प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने पर एसडीएम ने उन्हें निरस्त कर दिया। इसके विरोध में कुरील ने न्यायालय की शरण ली और शासन के सचिव सोशल वेलफेयर के साथ ही किच्छा एसडीएम, तहसीलदार और पंत विवि को पार्टी बनाकर न्यायालय से स्टे हासिल कर लिया। करीब पांच वर्ष तक न्यायालय में मामला चलने के बाद सोमवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट में जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की बेंच ने स्टे खारिज कर केस का निस्तारण कर दिया। इसके बाद से कुरील पर बर्खास्तगी या प्रमाणपत्रों के आधार पर मिले लाभ की रिकवरी की कार्रवाई का खतरा मंडल रहा है।
तीन राज्यों से बनवाए जाति व निवास प्रमाणपत्र
पंतनगर। शिकायतकर्ताओं के अनुसार कुरील ने नियुक्ति के दौरान तहसीलदार हुजूर जिला भोपाल (एमपी) की ओर से जारी जाति और निवास प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। इसमें स्पष्ट है कि जारी प्रमाणपत्र छात्रवृत्ति और राज्य प्रशासन की नौकरियां तक ही मान्य होगा। वर्तमान में पंत विवि उत्तराखंड में है और पूर्व में यूपी में होता था। चरित्र सत्यापन में कुरील ने प्रमाणपत्र लगाकर अपना स्थायी पता ग्राम दुल्लीखेड़ा नगला गुरबख्शगंज रायबरेली (यूपी) अंकित किया। किच्छा एसडीएम ने दो मार्च 2005 को तहसीलदार की आख्या पर जारी जाति और स्थायी प्रमाणपत्र में उन्हें 18-फील्ड हॉस्टल फूलबाग पंतनगर किच्छा का स्थायी निवासी दर्शाया है। पंत विवि में उनकी नियुक्ति 1998 में हुई और स्थायी निवास प्रमाणपत्र 2005 में जारी कर दिया गया। ऐसे में दूसरे राज्य का जाति प्रमाणपत्र पंत विवि में कैसे मान्य हो गया, इस पर भी सवाल उठे हैं। हाईकोर्ट ने कुरील के फर्जी प्रमाणपत्र मामले में स्टे खारिज कर केस निस्तारित कर दिया है, परंतु अभी निर्णय की कापी आने में एक-दो दिन लगेंगे। उसके बाद ही कुरील पर होने वाली कार्रवाई के बारे में बताया जा सकता है। बर्खास्तगी के बजाय उनको प्रमाणपत्रों के आधार पर मिलने वाली पदोन्नति को वापस लेकर लाभ की रिकवरी सहित उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज होने की संभावना अधिक है। – डॉ. आशुतोष सिंह, निदेशक विधि, जीबी पंत कृषि विवि
फर्जी जाति प्रमाणपत्र को लेकर उप नियंत्रक पर लटकी कार्रवाई की तलवार
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