यूक्रेन में युद्ध के हालात के चलते वहां डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे कई उत्तराखंड के छात्रों का भविष्य संकट में आ गया है। ये छात्र वहां से पढ़ाई बीच में ही छोड़कर लौटने की तैयारी में हैं। कइयों ने तो घरवालों से टिकट के पैसे भी मंगवा लिए हैं। इधर परिजन भी चिंतित हैं। हालांकि रूस के कुछ सेनाओं को वापस बुलाने की सूचना आने के बाद उन्होंने थोड़ा राहत महसूस की है। दून के जिला अस्पताल (कोरोनेशन) में तैनात डॉ. डीपी जोशी के बेटे अक्षत जोशी यूक्रेन में एमबीबीएस कर रहे हैं। ‘हिन्दुस्तान से फोन पर हुई बातचीत में अक्षत ने बताया कि पिछले कुछ समय से हालात काफी खराब होते जा रहे हैं। अक्षत के अनुसार, उत्तराखंड के करीब 35 से 40 छात्र यहां विभिन्न विवि से एमबीबीएस कर रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर लौटने की तैयारी में हैं। अक्षत ने बताया कि वे खारकीव यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस तीसरे साल के छात्र हैं। वहीं उत्तरकाशी के भटवाड़ी निवासी आशीष ने बताया कि यूक्रेन की टरनोपिल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस के चौथे साल के छात्र हैं। वहां हालात काफी अनिश्चित हो गए हैं। ऐसे में भारतीय दूतावास ने भी वहां से लौटने का विकल्प उन्हें दिया है। घरवाले भी लगातार उनसे वापस आने को कह रहे हैं,आाशीष ने बताया कि उनके पिता गजेंद्र प्रसाद नौटियाल पंडिताई करते हैं और उनका भटवाड़ी में होटल भी है।
हर छात्र के साथ यही दिक्कत
देहरादून। यूक्रेन में रुद्रपुर के प्रीत विहार निवासी जावेद अंसारी और अर्श मलिक, ग्राम मलपुरा निवासी मोहम्मद शारिफ, ग्राम शिमला पिस्तौर निवासी चंदन जल्होत्रा और तराई विहार निवासी उसामा कुरैशी भी एमबीबीएस कर रहे हैं। यह सभी टरनोपिल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। इनके साथ भी यही समस्या है। सभी इसी तरह की अनिश्चितता से गुजर रहे हैं।
तीस हजार की टिकट 70 हजार तक पहुंची
देहरादून। अक्षत जोशी और आशीष नौटियाल ने बताया कि यहां जैसे ही बाहरी छात्रों में जाने को लेकर अफरा-तफरी मचने लगी तो एयरलाइंस कंपनियों ने रेट भी बढ़ा दिए। दिल्ली तक का जो टिकट 30 से 35 हजार रुपये तक का था, वो अब 60 से 70 हजार रुपये तक का हो गया है। ऐसे में वापसी भी मुश्किल हो रही है। बताया कि वे भारतीय दूतावास से इसमें मदद की आस लगाए बैठे हैं।
यूक्रेन के हालात से एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए छात्र परेशान
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