Thursday, November 28, 2024
Homeउत्तराखण्डकैंपा में 65 करोड़ से अधिक की राशि सरेंडर होना तय

कैंपा में 65 करोड़ से अधिक की राशि सरेंडर होना तय

बजट की पर्याप्त उपलब्धता और फिर भी खर्च करने में हाथ तंग। प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के अंतर्गत वन विभाग को मिली धनराशि के मामले में तस्वीर कुछ ऐसी ही है। कैंपा में चालू वित्तीय वर्ष के लिए अवमुक्त 440 करोड़ रुपये के बजट में से 65 करोड़ से अधिक की राशि इस बार सरेंडर होना तय है। इसके पीछे कुछ वन प्रभागों में कार्य शुरू न होना और बाद में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता को कारण माना जा रहा है। इसे देखते हुए वन मुख्यालय ने सभी वन प्रभागों से कैंपा में हुए खर्च का ब्योरा मांगा है।
क्षतिपूरक वनीकरण, वन चौकियों का निर्माण, भूस्खलन से प्रभावित बुग्यालों में उपचारात्मक कार्य, वन प्रहरियों के लिए मानदेय की व्यवस्था, नदी पुनर्जीवीकरण, समेत विभिन्न कार्यों के लिए कैंपा के अंतर्गत राज्य के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 445 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया था। इसमें से दो किस्तों में 440 करोड़ रुपये की धनराशि वन प्रभागों को आवंटित कर दी गई। सूत्रों के अनुसार इस बीच बात सामने आई कि वन चौकियों के निर्माण के लिए 27 करोड़ रुपये तो जारी किए गए, लेकिन इसकी स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। इसके बाद चौकियों के डिजाइन आदि की कसरत हुई, तब तक विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। ऐसे में ये कार्य प्रारंभ नहीं हो पाए हैं।सूत्रों ने बताया कि कोरोना संकट को देखते हुए वन क्षेत्रों में स्थानीय निवासियों को वन प्रहरी के रूप में तैनाती देने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए 40 करोड़ के बजट का प्रविधान कैंपा से हुआ। इसमें चयन प्रक्रिया के जो मानक बनाए गए, उनके हिसाब से लोग नहीं मिल पाए। इसे लेकर अधिक गंभीरता भी नहीं दिखाई गई और इस राशि का उपयोग नहीं हो पाया। इसके अलावा नदी पुनर्जीवीकरण, नेट प्रजेंट वेल्यू का भुगतान से संबंधित कार्य भी लंबित हैं। अब 10 मार्च को मतगणना के बाद नई सरकार का गठन होने में दो-चार दिन का समय लगना तय है। ऐसे में वित्तीय वर्ष की समाप्ति के लिए एक पखवाड़े का समय बचेगा। इस अवधि में कैंपा के लंबित कार्यों के लिए टेंडर कराकर इन्हें पूर्ण कराना असंभव है। ऐसे में इन कार्यों की धनराशि सरेंडर होना तय है। इससे विभाग की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है।
इस संबंध में विनोद कुमार सिंघल (प्रमुख मुख्य वन संरक्षक) ने कहा कि सभी वन प्रभागों से कैंपा में अवमुक्त राशि के सापेक्ष खर्च का ब्योरा मांगा गया है। सात जनवरी को वन संरक्षक कांफ्रेंस में भी कैंपा के कार्यों की समीक्षा होगी। इससे पूरी तरह साफ हो जाएगा कि कैंपा में कितना बजट खर्च हुआ। यदि किसी प्रभाग में बजट खर्च करने में लापरवाही की बात सामने आती है तो कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments