राज्य गठन के बाद पुलिस के लगभग सभी संवर्गों की अपनी नियमावली बन गई है, लेकिन मिनिस्टीरियल संवर्ग अभी भी उत्तर प्रदेश की सेवा नियमावली के हिसाब से ही चल रहा है।
कर्मचारियों को पदोन्नति के पूरे अवसर नहीं मिल पा रहे
उत्तराखंड की अपनी नियमावली के अस्तित्व में न आने के कारण जिलों में तैनात मिनिस्टीरियल संवर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति के पूरे अवसर नहीं मिल पा रहे हैं शासन में एक बार इसका प्रस्ताव आया था, शासन ने इसमें कुछ संशोधन सुझाए और मुख्यालय को पत्रावली वापस भेजी। तब से कई रिमाइंडर भेजने के बाद भी मुख्यालय से इसका प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा गया है।
पुलिस विभाग में वर्ष 2017 के बाद विभिन्न संवर्गों की सेवा नियमावली बेहद तेजी से बनी है। इनमें पुलिस निरीक्षक, उप निरीक्षक सेवा नियमावली, घुड़सवार संवर्ग सेवा नियमावली, पीएसी संवर्ग सेवा नियमावली, सिविल संवर्ग व अग्निशमन संवर्ग की सेवा निमयावली शामिल हैं। यहां तक की संचार की भी सेवा नियमावली बन चुकी है।
इन सभी संवर्गों की सेवा नियमावली बनाने का मुख्य कारण यह रहा कि इन संवर्गों में भर्ती, पदोन्नति व दंड आदि के मानक तय नहीं थे। उत्तर प्रदेश की नियमावली का हवाला तो दिया जाता था, लेकिन इसकी व्याख्या हर कोई अपने अनुसार कर रहा था। यही कारण रहा कि पुलिस में पदोन्नति व तबादलों से संबंधित कई मामलों में कोर्ट केस हुए।
पुलिस विभाग के लगभग सभी संवर्गों की अपनी नियमावली, लेकिन उत्तर प्रदेश की नियमावली से चल रहा मिनिस्टीरियल संवर्ग
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