इसे विभागों की कोताही कहेंगे, जो वाहन सड़क पर दौड़ते हुए सीज हुए, अब उनकी हालत ऐसी हो गई कि क्रेन से उठाकर ले जाना पड़ेगा। वक्त पर नीलामी न होने से लाखों की कीमत के वाहन कबाड़ बन चुके हैं। आशारोड़ी चेकपोस्ट पर कुछ वाहन झाड़ियों में गुम हो गए, इन्हें ढूंढने के लिए पहले झाड़ियां कटवानी होंगी। कई पुलिस थानों में सीज वाहनों के लिए जगह तक नहीं बची है। बावजूद इसके, विभाग इनकी नीलामी नहीं कर रहे हैं। आरटीओ की प्रवर्तन टीमें हर महीने वाहन सीज करती हैं। आरटीओ दफ्तर और आशारोड़ी चेकपोस्ट पर 250 से ज्यादा छोटे-बड़े वाहन सीज हैं। कुछ वाहन ऐसे हैं, जिन्हें सीज हुए कई साल बीत गए, लेकिन इनकी नीलामी नहीं हुई। हालत ऐसी हो गई कि इन्हें कबाड़खाने तक क्रेन से ले जाने में मशक्कत करनी होगी। आरटीओ दफ्तर के बाहर अधिकांश वाहनों पर झाड़ियां उग आई हैं। लाखों के इन वाहनों की यदि समय पर नीलामी हो जाती तो विभाग को अच्छी कीमत मिल सकती थी, लेकिन अब कबाड़ के भाव में ही ये बिक पाएंगे। आरटीओ प्रवर्तन सुनील शर्मा ने बताया कि सीज वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आशारोड़ी और आरटीओ दफ्तर में सीज वाहनों की सूची बनाई जा रही है। सभी मालिकों को नोटिस भेजे जाएंगे। यदि इसके बाद भी कोई वाहन नहीं छुड़वाते हैं तो इसे नीलाम किया जाएगा।
आरटीओ में ऐसे होती है नीलामी की प्रक्रिया
सीज वाहन को यदि मालिक 90 दिन में नहीं छुड़वाते तो उसे नीलाम किया जा सकता है। इससे पहले, एक बार नोटिस भेजा जाता है। नीलामी के लिए परिवहन आयुक्त को प्रस्ताव भेजा जाता है। आयुक्त समिति का गठन करते हैं। आरआई वाहनों की न्यूनतम कीमत तय करते हैं। इसके बाद वाहनों की खुली नीलामी की जाती है।
थानों में हजार वाहन डंप
दून के पुलिस थानों में एक हजार से ज्यादा वाहन डंप हैं। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, कोतवाली नगर में 102, डालनवाला थाने में 154, बसंत विहार थाने में 136, कैंट में 115, प्रेमनगर में 60, पटेलनगर में 51, राजपुर में 47, विकासनगर में 50, डोईवाला में 54, क्लेमनटाउन में तीन, रानीपोखरी में 25, रायवाला में 38, ऋषिकेश कोतवाली में 99, सेलाकुई थाने में 70, सहसपुर में 14, रायपुर में सात और यातायात कार्यालय में 70 वाहन नीलाम होने हैं।
टैक्स जमा करने से नहीं बच सकते वाहन मालिक
आरटीओ सुनील शर्मा के अनुसार, यदि सीज वाहनों के मालिक ये समझ रहे कि वे वाहन नहीं छुड़वाएंगे तो टैक्स से बच जाएंगे, तो यह गलत है। सभी नाम बकाया सूची में हैं। यदि वाहन को नहीं छुड़वाते हैं तो वाहन को नीलाम किया जाएगा। जो कीमत मिलेगी, उसका बकाया टैक्स में समायोजित होगा। बाकी कीमत मालिक को जमा करनी होगी। इस पर मालिकों की आरसी काटी जाएगी।
देहरादून में आरटीओ और पुलिस थानों में कबाड़ हो गए लाखों के वाहन
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