Monday, November 25, 2024
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रेलवे की भूमि पर किए गए अतिक्रमण पर नहीं मिली राहत, कोर्ट ने रखा निर्णय सुरक्षित

नैनीताल। हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने रेलवे, राज्य सरकार, केंद्र सरकार और प्रभावित लोगों को सुनने के बाद पक्षकारों को छूट दी है कि अगर उनको और कुछ कहना है तो वे दो सप्ताह के भीतर लिखित में कोर्ट में पेश कर सकते हैं। रेलवे ने अतिक्रमण को हटाने के लिए 30 दिन का प्लान कोर्ट में पेश किया। कहा कि कोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी के साथ 31 मार्च को बैठक हुई थी। डीएम ने उनसे पूरा प्लान मांगा जो सोमवार को उन्होंने जिलाधिकारी को सौंप दिया है। इसमें जिला प्रशासन से अतिक्रमण हटाने को लेकर सुरक्षा की मांग भी की गई है। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार 9 नवंबर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दस सप्ताह के भीतर रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुनवाई करें। रेलवे की ओर से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमें करीब 4365 लोग काबिज हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया। इनकी सुनवाई रेलवे ने पूरी कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास भूमि के वैध कागजात नहीं पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल को दो बार पत्र देकर सुरक्षा दिलाने की मांग की गई। इनका जवाब आज तक नहीं मिला। दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को छह सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेलवे का विस्तार हो सके। इन लोगों को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाए हैं तो राज्य सरकारें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं। जनहित याचिका में कुछ प्रभावित लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वे वर्षों से यहां पर रह रहे हैं। यह भूमि उनके नाम खाता खतौनियों में चढ़ी हुई है। रेलवे ने उनको सुनवाई का मौका तक नहीं दिया।
आरएएफ के 50 जवानों ने हल्द्वानी में डेरा डाला
हल्द्वानी। रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं पक्षकारों को रिर्टन सबमिशन कोर्ट में पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। उधर, आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) के 50 जवान हल्द्वानी पहुंच गए हैं। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि एसएसपी आरएएफ के पहुंचने को सालाना एरिया डोमिनेशन में आने की बात कह रहे हैं।हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन और रेलवे ने तैयारी कर रहे हैं। सोमवार को 50 आरएएफ की एक और टुकड़ी हल्द्वानी पहुंची है। उधर चर्चा है कि रेलवे ने जिला प्रशासन को मास्टर प्लान भी सौंपा है। लेकिन जिला प्रशासन मास्टर प्लान सौंपने की बात से इनकार कर रहा है।
आरएएफ के हल्द्वानी पहुंचने पर इसे रेलवे के अतिक्रमण हटाने की तैयारियों से जोड़ा गया है। लेकिन एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि जिला प्रशासन ने अभी तक कोई फोर्स की डिमांड नहीं की है। कहा कि आरएएफ सालाना एरिया डोमिनेशन के लिए आती हैं। इसी के तहत आरएएफ हल्द्वानी पहुंची है।
रेलवे ने अभी तक मास्टर प्लान नहीं दिया है। मंगलवार को प्लान मिल सकता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। – धीराज गर्ब्याल डीएम नैनीताल
बनभूलपुरा के लोगों ने डीएम कैंप परिसर में दिया धरना

हल्द्वानी। रेलवे की भूमि से बेदखली के मामले में सोमवार को वनभूलपुरा संघर्ष समिति और स्थानीय लोगों ने डीएम कैंप कार्यालय परिसर में धरना देकर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद रेलवे बोर्ड और जिला प्रशासन यहां बसे लोगों को हटाने का मास्टर प्लान तैयार कर रहा है। इसके बाद उन्होंने डीएम को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह को सौंपा।समिति के अध्यक्ष उवैस राजा ने सिटी मजिस्ट्रेट से कहा कि रेलवे ने करीब 4500 मकानों को अतिक्रमण के दायरे में बताया है जो कि गलत है। रेलवे ने बरेली इज्जतनगर में किसी भी पक्ष की सही से सुनवाई नहीं की। सबको एक जैसा आदेश बनाकर बेदखली का नोटिस दे दिया। अभी तक नगर निगम ने अपनी जमीन का सीमांकन नहीं किया गया है जबकि इस इलाके में 400 या 500 लोगों को डीएम की ओर से जमीन के पट्टे भी दिए गए हैं। कुछ का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में पहले नगर निगम ये बताए कि इस क्षेत्र में उसकी अपनी कितनी जमीन है। उसके बाद जो जमीन बचती है उसका अतिक्रमण हटाने से पहले वहां के लोगों को दूसरी जगह बसाने का इंतजाम किया जाए। लोगों ने मामले में प्रभावितों की पैरवी करने की गुहार भी लगाई।

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