सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा, आग या किसी अन्य दुर्घटना से जीवन पर किसी भी खतरे के लिए आयोजक को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। भले ही एक स्वतंत्र ठेकेदार ने आयोजन की व्यवस्था की हो। यह कहते हुए शीर्ष अदालत ने मेरठ के विक्टोरिया पार्क अग्निकांड के पीड़ितों के लिए उचित मुआवजा निर्धारित करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक न्यायिक अधिकारी को नामित करने का निर्देश दिया। 10 अप्रैल, 2006 को हुए इस हादसे में 65 लोगों की मौत हो गई थी और 161 घायल हुए थे। अग्निकांड पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने आयोजकों की इस दलील को खारिज कर दिया कि वे अग्निकांड के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। उनकी दलील थी कि वह भारत ब्रांड उपभोक्ता शो में आग लगने की घटना के संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत पीड़ितों के जीवन के मौलिक अधिकार के उल्लंघन के जिम्मेदार नहीं हैं। पीठ ने कहा, ठेकेदार ने पीड़िताें के लिए नहीं बल्कि आयोजकों के लिए काम किया है। इसलिए पीड़ितों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अकेले आयोजक जिम्मेदार हैं। पीठ ने कहा, हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुरोध करते हैं कि वह इस अदालत के आदेश के दो सप्ताह के भीतर मेरठ में जिला न्यायाधीश/अतिरिक्त जिला न्यायाधीश स्तर के एक न्यायिक अधिकारी को खासतौर पर मुआवजा तय करने का काम सौंपे। इसे दैनिक आधार पर पूरा किया जाना चाहिए। न्यायिक अधिकारी पक्षकारों को ऐसे सबूत पेश करने की अनुमति दे सकते हैं जो अनुमेय हो। पीठ ने कहा, हमें उम्मीद है कि न्यायिक अधिकारी मुआवजे की राशि की गणना करेंगे और कानून के अनुसार मुआवजे के संबंध में विचार के लिए इस अदालत को रिपोर्ट देंगे।
आयोग की रिपोर्ट को सही बताया
पीठ ने कोर्ट द्वारा नियुक्त एक सदस्यीय आयोग की उस रिपोर्ट को सही बताया जिसमें आयोजकों और राज्य के बीच दायित्व को 60:40 के अनुपात में विभाजित किया था। पीठ ने कहा है कि आयोग के इस निष्कर्ष में कोई खामी नहीं है। पीठ ने हाईकोर्ट से न्यायिक अधिकारी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करने का निर्देश दिया है।
लोग वहां ठेकेदार के नहीं बल्कि आयोजकों के नियंत्रण पर गए थे
पीठ ने कहा, पीड़ितों या उनके परिवारों ने आयोजकों के निमंत्रण पर प्रदर्शनी का दौरा किया न कि ठेकेदार के। आगंतुकों की सुविधा के लिए आयोजकों को प्रदर्शनी हॉल लगाने, बिजली और पानी उपलब्ध कराने व भोजन स्टालों की व्यवस्था करनी थी। पीठ ने कहा, वे अब यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि जिस ठेकेदार को काम करने के लिए कहा गया था वह एक स्वतंत्र ठेकेदार था और पीड़ितों को उससे मांग करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुआवजा निर्धारण के लिए न्यायिक अधिकारी नामित करे हाईकोर्ट
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