Thursday, October 31, 2024
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ग्राम पंचायतों के खातों में धूल फांक रहे दस करोड़

करीब एक महीने से ग्राम पंचायतों के खातों में विकास कार्यों के लिए आए दस करोड़ रुपये बैंक खातों में धूल फांक रहे हैं। दरअसल जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत भी नहीं हुए और डेढ़ महीने से प्रशासकों की तैनाती भी नहीं। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए दस करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पा रहे। जबकि पंचायतों में कई विकास कार्य होने बाकी हैं।
28 मार्च 2021 में जनपद की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया था। तब से पंचायतों के चुनाव नहीं हो सके हैं। इस दौरान पंचायतों में सरकार की तरफ से प्रशासक के रूप में तैनात किए गए एडीओ पंचायतों का कार्यकाल भी दो बार बढ़ाया गया। पर तीसरी बार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने से राज्यपाल के इनकार कर दिया था। करीब डेढ़ माह से प्रशासक भी नहीं हैं। जिससे पंचायतें रामभरोसे हैं। आठ अप्रैल को केंद्र सरकार की ओर से पिछले वित्तीय वर्ष की रुकी अंतिम किश्त का पैसा भी जनपद की 306 ग्राम पंचायतों के खातों में 10 करोड़ 78 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिया गया था। ताकि पंचायतों में सड़कें, जल निकासी के लिए नाला, पेयजल आदि की समस्याओं का हल हो सके। यह पैसा प्रशासक या फिर प्रधान के साथ ही ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से ही बैंकों से निकल सकता है। अकेेले ग्राम पंचायत अधिकारी पैसा नहीं निकाल सकते हैं। ऐसे में न तो पंचायतों की ओर से कोई प्रस्ताव पारित किया जा सकता है और न ही पैसा निकाला जा सकता है।
क्षेत्र और जिला पंचायतों को भी मिले बीस करोड़
ग्राम पंचायतों के साथ ही क्षेत्र और जिला पंचायत को भी करीब 20 करोड़ रुपये का बजट मिला है। जिसमें जिला पंचायत को करीब तीन करोड़ रुपये मिले हैं। जबकि क्षेत्र पंचायत बहादराबाद, लक्सर, भगवानपुर, नारसन, रुड़की और खानपुर के लिए 17 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है। हालांकि, जिला पंचायत में बतौर प्रशासक तैनात डीएम का कार्यकाल भी मई में ही समाप्त हो जाएगा और क्षेत्र पंचायतों में प्रशासक के रूप में कार्य देख रहे एसडीएम का कार्यकाल जून में खत्म होने वाला है। इसलिए इनके पास भी विकास कार्य कराने के लिए कम ही समय बचा हुआ है।
पंचायतों में न तो प्रधान हैं और न ही प्रशासक। जिसके कारण बजट को विकास कार्य के लिए नहीं निकाला जा सकता है। प्रशासक या फिर चुनाव होने से प्रधान नियुक्त होने के बाद ही पैसा निकालकर कार्य कराए जा सकते हैं। – अतुल प्रताप सिंह, डीपीआरओ, हरिद्वार

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