अल्मोड़ा। महिला अस्पताल में अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की लेवल-टू जांच की सुविधा भी नहीं है। जांच के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को परेशानी होती है। वहीं, मरीजों के बैठने के लिए लगी कुर्सियां में जंग लगने से मरीजों और तीमारदारों को इनमें बैठने में दिक्कतें हो रही है। अस्पताल में कूड़ा और गंदगी की समस्या भी आम है।
गर्भस्थ शिशु की शारीरिक संरचना का पता लगाने के लिए लेवल-टू जांच की जाती है, इसमें बच्चे की शारीरिक संरचना (हाथ-पैर, किडनी, हृदय) देखे जाते हैं कि उनका विकास सही तरीके से हो रहा है या नहीं। महिला अस्पताल में काफी संख्या में गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती है लेकिन लेवल-टू जांच की सुविधा न होने से इलाज नहीं हो पाता है। जांच के लिए मरीजों को हल्द्वानी या फिर अन्य स्थानों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड सप्ताह में एक बार सिर्फ बुधवार को ही किया जाता है। बुधवार को सुबह से ही मरीजों की लाइन लग जाती है, जिससे दूरदराज से आने वाली मरीजों को नंबर देर में आने पर घर लौटने पर देरी हो जाती है। लगातार बदल रहे मौसम में महिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। पिछले 12 दिनों में महिला अस्पताल की ओपीडी 984 पार हो गई है।
केस नंबर-01
नगर के धारानौला से दिखाने आई मानसी पांडे ने कहा कि अस्पताल में युवतियों और महिलाओं को देखने वाले डॉक्टर एक ही होते हैं। जिससे कई बार युवतियों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
केस नंबर-02
धारानौला क्षेत्र से पहुंची रिंकी जोशी ने बताया कि अस्पताल में युवतियां भी दिखाने आती हैं लेकिन उनके लिए कोई अलग से डॉक्टर नहीं है। जिस कारण कई बार समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। युवतियों के लिए अलग विशेषज्ञ नियुक्त होने चाहिए। महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की लेवल-टू जांच की सुविधा न होने के बारे में शासन को लिखा गया गया है। ये सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। – डॉ. आरसी पंत, सीएमओ अल्मोड़ा
महिला अस्पताल में लेवल-टू जांच ने होने से गर्भवती महिलाएं परेशान
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