रायपुर सामुदायिक स्वास्थ्य (सीएचसी) केंद्र विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा, जिससे मरीजों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। वहीं, अमरनाथ यात्रा के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र बनवाने पहुंच रहे लोग भी परेशान हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जा रहे हैं।
अस्पताल में बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों के अलावा मालदेवता और देहरादून की सीमा से सटे टिहरी जिले के गांवों के हजारों लोग आते हैं, लेकिन फिजीशियन, आर्थोपेडिक सर्जन और नेत्र सर्जन नहीं हैं। फिजीशियन की जगह पब्लिक हेल्थ क्षेत्र में विशेषज्ञ एमबीबीएस डॉक्टर की तैनाती की गई है। आपात स्थिति में अस्पताल में बड़ी संख्या में हड्डी और चोट वाले मरीज पहुंचते हैं। आर्थोपेडिक और नेत्र सर्जन न होने पर महज प्राथमिक इलाज ही मिल पाता है। जरूरत पर मरीजों को राजकीय जिला कोरोनेशन अस्पताल और राजकीय दून मेडिकल अस्पताल भेजना पड़ता है। कई मरीज मजबूरन निजी अस्पतालों के चक्कर काटने को मजबूर होते हैं।
उधर, अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. पीएस रावत ने बताया कि आजकल विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इससे मरीजों को जरूरत पड़ने पर कोरोनेशन अस्पताल भेजा जाता है। वहीं, अमरनाथ यात्रा के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र बनवाने आए लोगों को भी कोरोनेेशन या दून मेडिकल अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है। कहा कि डॉक्टरों की कमी के बाबत सीएमओ के माध्यम से महानिदेशालय को समय-समय पर अवगत कराया जाता है। अस्पताल का विस्तार कर 30 बेड का भी बनाया जाना है। इसमें भी शासन स्तर से निर्णय लिया जाना है।
रायपुर अस्पताल में नहीं आर्थोपेडिक और नेत्र सर्जन
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