पहाड़ में नौकरी करने से डाक्टर व शिक्षक ही नहीं पुलिस कर्मी भी कतरा रहे हैं। इसकी बानगी तो देखिए 16 साल बाद जिन पुलिस कर्मियों को पहाड़ भेजा गया था, वह 60 दिन में ही लौट आए हैं। हैरानी तो यह है कि सुगम में नौकरी करने पर इन्हें दुर्गम का वेतन मिल रहा है। पुलिस नियमावली के अनुसार एक सिपाही सुगम में 16 साल व दुर्गम में आठ साल की सेवा करेगा। इसी तरह इंस्पेक्टर व दारोगा सुगम में आठ साल व दुर्गम में चार साल की अनिवार्य सेवा देंगे। मगर नियमावली को दरकिनार कर पुलिस कर्मियों की मनमानी पोस्टिग चर्चा का विषय बन गई है। इससे उन पुलिस कर्मियों का मनोबल भी टूट रहा है, जो नियमानुसार ड्यूटी कर रहे हैं। केवल दुर्गम जिलों की बात करें तो अल्मोड़ा में छह और पिथौरागढ़ में नौ पुलिस कर्मी संबद्ध हैं। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) में दो पुलिस कर्मी संबद्धता पर कार्यरत हैं। इसी प्रकार सुगम जनपदों में सबसे अधिक परिक्षेत्रीय कार्यालय व हाई कोर्ट में संबद्ध हुए हैं। संबद्धता से आने वाले ये पुलिस कर्मी दुर्गम में ज्वाइनिंग के दो माह बाद ही वापस आ चुके हैं।
अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ वाले पहुंचे हल्द्वानी
अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में पोस्टिंग पाने वाले अधिकांश पुलिस कर्मी हल्द्वानी में संबद्ध है। इनमें कई पुलिस कर्मी अच्छे काम की बदौलत अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। कई ऐसे भी पुलिस कर्मी हैं जो थाना, चौकियों में आरामदायक नौकरी कर रहे हैं।
पहाड़ पर आराम, फिर भी दूरी
ऊधम सिंह नगर जिला अपराध के लिहाज से अतिसंवेदनशील है। इसी तरह नैनीताल जिले में भी अपराधिक घटनाएं होती रहती है। पहाड़ में नौकरी करना दोनों जिलों के मुकाबले आरामदायक माना जाता है। इसके बावजूद पुलिस कर्मी पहाड़ों पर नहीं टिक रहे हैं। कुछ पुलिस कर्मियों ने संबद्धता में पारिवारिक तो कुछ ने स्वास्थ्य कारण बताया है। मगर हकीकत क्या है यह अधिकारी से अच्छा कोई नहीं जानता।
संबद्धता से आए पुलिस कर्मी तत्काल लौटेंगे
डीजीपी उत्तराखंड अशोक कुमार ने बताया कि तबादले के बाद पुलिस कर्मियों को नए कार्यक्षेत्र में जाना ही पड़ेगा। आपात स्थिति में पुलिस कर्मियों को राहत दी जाएगी। संबद्धता से आए पुलिस कर्मी तत्काल प्रभाव से वापस अपने कार्यक्षेत्रों में लौटेंगे।
16 साल बाद पहाड़ भेजे गए पुलिस कर्मी 60 दिन में ही लौटे, फिर भी दुर्गम का मिल रहा वेतन
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