सरकारी बजट को किस प्रकार ठिकाना लगाना है यह कोई ऊर्जा निगम से सीखे। पहले बिजली चोरी रोकने के लिए शहर के चुनिंदा क्षेत्रों में एबीसी केबल बिछाई। जब इस घटिया क्वालिटी की केबल में लगातार फाल्ट आने लगे तो तब एबीसी केबल हटाकर उसकी जगह एल्युमिनियम की तारें बिछाने का फरमान जारी कर दिया। करीब दो साल पहले ऊर्जा निगम ने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में बिजली चोरी रोकने के लिए पुरानी तार (एल्युमिनियम की तार) हटाकर उनकी जगह एसबीसी (एरियल बंच कंडक्टर) केबल बिछाई गई थी। हैरत बात यह है कि ऊर्जा निगम के इंजीनियरों ने न तो संबंधित एबीसी केबल की लोड क्षमता जानी, न ही क्षेत्र में विद्युत खपत का विवरण जुटाया। इसका असर यह हुआ कि मई-जून 2022 में गर्मियों के दौरान जब लोगों ने अपने घरों में एसी (एयरकंडीशनर) चलाए तो एबीसी केबल में धड़ाधड़ फाल्ट आने लगे। कई स्थानों पर ऊर्जा निगम के केबल में जोड़ लगाकर उसे चालू किया। लेकिन यह जुगाड़ भी ज्यादा दिन नहीं चला। स्थिति यह हो गई कि थी नवंबर में गंगानगर, सोमेश्वर नगर क्षेत्र में ऊर्जा निगम को फाल्ट ढूंढने में दो दिन लग गए।
यदि इंजीनियरों ने लोड का डाटा जुटाया होता तो उस क्षेत्र में उच्च क्षमता की एबीसी केबल लगाई जाती। जब बार-बार फाल्ट आने लगे तो ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने एबीसी केबल को हटाकर उसकी जगह साधारण एल्युमिनियम वाली केबल लगाने में ही भलाई समझी। इस केबल को लगाने में ऊर्जा निगम को करोड़ों रुपये की चपत लग रही है। वहीं अधिकारी इस मामले में गोलमोल जवाब दे रहे हैं। ऊर्जा निगम की ओर से आजकल लाइनों की मरम्मत का काम कराया जा रहा है। गंगानगर और अन्य क्षेत्रों में जहां एबीसी केबल की जगह एल्युमिनियम की तारों वाली लाइन डाली जा रही है वहां पर बार-बार फाल्ट आ रहा था। – शक्ति प्रसाद, अधिशासी अभियंता ऊर्जा निगम ऋषिकेश।
इंसुलेटेड तारों में फाल्ट नहीं ढूंढ पा रहा ऊर्जा निगम
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