Saturday, November 2, 2024
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प्रदेश की सत्ता की धुरी बनने को बेताब चंपावत!

चंपावत। करीब 863 साल तक चंद राजवंश की राजधानी रहा चंपावत अब फिर उत्तराखंड की सत्ता की धुरी बनने की ओर अग्रसर है। 31 मई को हो रहे उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पहली बार चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी चुनौती दे रही हैं। उपचुनाव के नतीजे को लेकर भाजपा में संशय नहीं है लेकिन पार्टी की सारी कोशिश इससे आगे की है। उसका लक्ष्य इस चुनाव में इतिहास रचने का है। वह इसमें कामयाब होगी या नहीं? इस जवाब से भविष्य की सियासत की दिशा तय होगी।
उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए 15 फरवरी को हुए मतदान के 106 दिन बाद 31 मई को चंपावत दूसरी बार मतदान करेगा। इसमें 46042 महिला और 50171 पुरुषों समेत कुल 96213 मतदाता वोट डालेंगे। लगातार दो बार इस सीट को जीत चुकी भाजपा उपचुनाव जीत तिकड़ी बनाने के लिए उत्सुक है। पांच बार कांग्रेस से प्रत्याशी रहे दो बार के विधायक हेमेश खर्कवाल के बजाय पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतार कांग्रेस ने महिला कार्ड खेलने का प्रयास किया है।
सीएम धामी के चंपावत से प्रत्याशी होने से तीन बदलाव साफ हुए हैं। भाजपा की धड़ेबाजी खत्म हुई, कांग्रेस के पांच दिग्गज नेताओं सहित ढेरों पदाधिकारियों की दलीय निष्ठा बदल गई और सबसे बढ़कर आम लोगों का नजरिया बदला है। लोग मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र बनने से चंपावत के विकास की आस संजोए हैं। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि आम लोग इस वीआईपी सीट के जरिये भविष्य को लेकर संजोए सपने को हाथ से नहीं जाने देना चाहते। उपचुनाव में इतिहास रचने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही भाजपा का प्रयास फरवरी में हुई वोटिंग (65.99 प्रतिशत) के लिए लोगों को बूथों तक लाने का है।
समीक्षक कहते हैं कि कांग्रेस की सारी ताकत इस उपचुनाव में दमदार मुकाबला करने की है। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष, विपक्ष के नेता से लेकर पूर्व सीएम तक ने मोर्चा संभाला। जोरदार संघर्ष कर इस नतीजे को दिलचस्प बनाने का कांग्रेस का इरादा पूरा हो पाएगा? तीन जून को वोटों की गिनती के साथ इसका उत्तर सामने आएगा। वैसे चुनाव में सपा समर्थित मनोज कुमार भट्ट और एक निर्दलीय हिमांशु गड़कोटी भी हैं।
क्यों हो रहा चंपावत उपचुनाव
चंपावत। विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत लाने वाली भाजपा के सीएम पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट कांग्रेस के भुवन कापड़ी के हाथों हार गए थे। इसके बावजूद केंद्रीय आलाकमान ने उन पर विश्वास जताया और उन्होंने 23 मार्च को सीएम की दूसरी बार शपथ ली। 21 अप्रैल को चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया। दो मई को उपचुनाव की तिथि का एलान होने के बाद भाजपा ने चंपावत से धामी को प्रत्याशी बनाया। ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी चंपावत को उसका पुराना गौरव दिलाना है। मां पूर्णागिरि धाम, गोल्ज्यू दरबार, हिंगलादेवी, देवीधुरा धाम, श्यामलाताल, गोरखनाथ दरबार सहित तमाम धर्मस्थल अध्यात्म की बुलंदियों के साथ पर्यटन मानचित्र पर चमकेंगे। वहीं आधारभूत ढांचे और बुनियादी सुविधाओं को गति देकर चंपावत के लोगों की विकास की आकांक्षा को रफ्तार दी जाएगी। – पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रत्याशी।
चंपावत से लेकर प्रदेश के विकास में भाजपा सरकार के पांच साल नाकामी का दस्तावेज है। पांच साल में तीन मुख्यमंत्री देने वाली भाजपा आगे ऐसा नहीं करेगी, इसकी क्या गारंटी है। सीएम के मैदान में होने के बावजूद भाजपा डरी हुई है। पूरी सरकार के मंत्रियों, विधायकों और संगठन की फौज तो चंपावत में डटी ही है, अब यूपी के मुख्यमंत्री को भी चुनाव प्रचार के लिए लाना इस डर की तस्दीक करता है। – निर्मला गहतोड़ी, कांग्रेस प्रत्याशी।

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