जनकवि डा अतुल शर्मा की पुस्तक नानू की कहानी पर चर्चा का आयोजन क्लेमनटाउन में किया गया। अतुल शर्मा की यह पुस्तक एक लघु उपन्यास है, जो कूड़ा बीनने वाले बच्चों की दिनचर्या पर आधारित है। इस पर चर्चा करते हुए शिक्षाविद्, साहित्यकार, समाजसेवी तथा छात्र छात्राओं ने कहा कि यह आज समाज के सच्चे दर्पण की तरह है। एक बच्चे नानू के माध्यम से उस वर्ग का चित्रण किया गया है, जो रोज़ सुबह कूड़ा बीनने निकल पडता है और यही उसका संसार है। छात्रा गार्गी ने नानू की कहानी पुस्तक का अंश पढ़ा कि जिसमें बच्चों को कूढ़ेदान मे टूटे हुए खिलोनों का ढेर मिल जाता है। टूटे शेर, हिरन, तोते के खिलौनों को देखकर वह उसे बोरी मे भर लेता है। यह भी कहता है कि हम तो इसे बेचेगे, हम कोई बच्चे नही कि इससे खेलें, कवयित्री और लेखिका रुचि जुयाल ने इस उपन्यास को दिल छूने वाला कथानक बताया। दिल्ली से आये प्राध्यापक अभिताभ श्रीवास्तव ने इसे सभी को पढ़ने की सलाह दी। डा. अतुल शर्मा ने बताया कि नानू एक सच्चा पात्र है, जिससे मिलकर यह पुस्तक लिखी गयी है। इसके साथ जीवंत स्केच चित्रकार जगमोहन बंगाली ने बनाये हैं। मौके पर डॉक्यूमेंट्री निर्माता कल्पना डंगवाल, पल्लवी उनियाल, रोहिनी विज, कहानीकार रेखा शर्मा, कवयित्री रंजना शर्मा, विनोद व आकांक्षा ने भाग लिया।
डा. अतुल शर्मा की पुस्तक नानू की कहानी पर हुई चर्चा
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