कहते हैं न सैनिक जीवन के हर युद्ध में पूरी जीवटता से लड़ता है। वह केवल युद्ध के मैदान में ही योद्धा नहीं होता बल्कि नियम, अनुशासन, समयबद्धता उसके जीवन का अंग हो जाती है, जिसके बल पर वह हर कठिनाई को परास्ता करने का माद्दा रखता है।
विश्व कैंसर दिवस के हम इन पूर्व सूबेदार की कहानी जानेंगे, जिन्होंने अपनी जीजीविषा के दम पर कैंसर जैसी भयावह बीमारी से लड़कर उससे जीत हासिल की। अब वह सामान्य जीवन जी रहे हैं। वह संदेश देते हैं कि बीमारी से सकारात्मक होकर लड़ें तो जीत अवश्य होगी। बीमारी में मानसिक व शारीरिक दोतरफा युद्ध लड़ना होता है।
32 सालों तक भारतीय सेना में रहते हुए पूर्व सूबेदार धन सिंह मेहता ने जहां 1971 के भारत पाक युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए कई दिन जंगलों में भूखा रहते हुए दुश्मन के छक्के छुड़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाई वहीं सेवा निवृत होने के बाद कैंसर सरीखी घातक बीमारी से तीन माह तक लगातार लड़ते हुए विजय प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की है। उनका मानना है कि देश सेवा का जज्बा होने पर जिस तरह से शक्तिशाली दुश्मन को भी परास्त किया जा सकता है ठीक उसी तरह जीवन जीने और ठीक हो जाने की सकारात्मक भावना होने पर शरीर से लाइलाज व्याधियों को भी हराया जा सकता है।
न्याय पंचायत ध्याड़ी के अन्तर्गत सिरगांव निवासी पूर्व सूबेदार धन सिंह मेहता वर्ष 1996 में फौज से सेवा निवृत होकर अपने ही गांव में रहते हैं।