निजी स्कूलों में महंगी होती पढ़ाई अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है। कोरोनाकाल के दौरान वर्ष 2020 और 2021 में निजी स्कूलों ने फीस में बढ़ोतरी नहीं की, लेकिन इस बार पिछले वर्ष की तुलना में फीस, बस का भाड़ा व ड्रेस की कीमतों में 10 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है। सबसे अधिक बढ़ोतरी बस फीस में की गई है। अभिभावक मजबूरी में बढ़ी हुई फीस भर रहे हैं।
कई छात्र-छात्राओं के माता-पिता अभिभावक एसोसिएशन के माध्यम से अपना विरोध भी दर्ज करवा रहे हैं, लेकिन सरकार इस विषय पर कोई कार्रवाई करेगी, ऐसा फिलहाल होता नहीं दिख रहा है। शिक्षा मंत्री केवल शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत निर्धन छात्रों को दाखिला देने पर ही जोर दे रहे हैं। पिछले सप्ताह निजी स्कूल संचालकों की शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत के साथ बैठक हुई। बैठक में अन्य बिंदुओं पर चर्चा हुई, लेकिन फीस के मुद्दे पर कोई बात नहीं की गई। उत्तराखंड अभिभावक संघ के प्रदेश मंत्री मनमोहन जायसवाल का कहना है कि इस बार ट्यूशन फीस में 25 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी अभिभावकों के साथ घोर अन्याय है। सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।
घर का निर्माण 25 प्रतिशत महंगा
वैश्विक स्तर पर पड़ रही महंगाई की मार से अपना देश की अछूता नहीं है। महंगाई का खासा असर भवन निर्माण सामग्री पर भी दिख रहा है। विशेषकर सीमेंट व सरिया के दाम आसमान छूने लगे हैं। इसके चलते आमजन के लिए सपनों के घरौंदे का निर्माण करना भारी पड़ने लगा है। स्थिति यह है कि वर्तमान में घर बनाना करीब 25 प्रतिशत महंगा हो गया है। बिल्डिंग मटीरियल के सप्लायर दुर्गा एसोसिएट के संचालक प्रवीण त्यागी ने बताया कि एक हजार वर्गफीट बनाने में पिछले साल तक करीब 12 से 14 लाख रुपये का खर्च आ रहा था। अब एक हजार वर्गफीट के घर की दर 16 से 18 लाख रुपये पहुंच गई है। महंगाई का असर सबसे अधिक सरिया के दाम में दिख रहा है। सामान्य दौर पर भवन निर्माण में 12 एमएम का सरिया लगता है। पिछले साल तक इसके दाम 3800 से 4200 रुपये प्रति कुंतल थे। यही दाम अब 7500 रुपये चल रहे हैं। इसी तरह सीमेंट के जिस बैग की कीमत 300 रुपये थी, वह अब 493 रुपये के करीब हो गई है। सीमेंट के ही अनुरूप विभिन्न तरह की टाइल्स में 15 से 25 फीसद तक के दाम बढ़ गए हैं। इसके अलावा लिंटर में प्रयुक्त होने वाली 20 एमएम की रोड़ी समेत डस्ट व धुली बजरी के दाम भी 10 फीसद तक बढ़े हैं। हालांकि यह अंडर लोड व ओवर लोड के आधार पर भी तय होते हैं। भवन निर्माण में ईंट के दाम पर भी असर पड़ा है, लेकिन अभी भी यह नियंत्रण में है। कुल मिलाकर मौजूदा हालात में एक आम व्यक्ति के लिए घर बनाना आसान नहीं रह गया है।
डाक्टरों ने बढ़ाई फीस, दवाएं भी हुई महंगी
महंगाई की मार केवल खाद्य वस्तुओं एवं पेट्रोलियम पदार्थो पर ही नहीं है। दवाओं के दाम और चिकित्सकों की फीस में पिछले दो सालों के मुकाबले 15 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। वर्ष 2020 और 2021 में कोरोनाकाल के दौरान दवाओं के लिए प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल का आयात चीन से बहुत कम हुआ। लाकडाउन के दौरान कच्चे माल की आपूर्ति भी प्रभावित रही। जिससे देश में जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत का उछाल आया था। कोरोना संक्रमण में कारगर कुछ दवाओं की देश और प्रदेश में कालाबाजारी के मामले भी सामने आए थे।
निजी स्कूलों की महंगी पढ़ाई अभिभावकों की जेब पर पड़ रही भारी, इस साल 10 से 25 प्रतिशत तक बढ़ी फीस
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