हर्षल फाउंडेशन, जेपी फाउंडेशन व किसान मोर्चा की ओर से संयुक्त रूप से दिव्यांग एवं पुनर्वास शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में कृत्रिम अंग पाकर दिव्यांगों को चेहरे खिल उठे। गांधी रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला में रविवार को कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने दो दिवसीय शिविर का उद्घाटन किया। मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि दिव्यांग, पिछड़ों और कमजोर लोगों की दुआओं में बहुत ताकत होती है। इसलिए सभी को ऐसे लोगों की हर संभव मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग की चिंता हमारी सरकार कर रही है। आज दिव्यांग समाज के हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर रहे हैं। दलित, पीड़ित, दिव्यांग, पिछड़े लोगों की मदद हमारी केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता में है।
हर्षल फाउंडेशन की ट्रस्टी सचिव रमा गोयल ने कहा कि दिव्यांग हमारी आपकी तरह सामान्य इंसान हैं। उन्हें भी सम्मान से जीने का हक है। हमारे थोड़े से प्रयास से अगर उनकी जिंदगी में सुधार होता है तो बहुत बड़ी बात है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अमर उजाला के स्थानीय संपादक दया शंकर शुक्ल ने की। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने हम सभी को कुछ न कुछ कम दिया है। किसी को शारीरिक तो किसी को दिमागी तौर पर। इसलिए दिव्यांग अपने आप को कमतर न समझें। आज (सोमवार) भी उक्त शिविर का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कैंट विधायक सविता कपूर, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी डॉ. अल्का पांडेय, हर्षल फाउंडेशन के निदेशक डॉ. आरएस गोयल, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन देहरादून की अध्यक्ष सिद्धू गुप्ता, किसान मोर्चा के जोगेंद्र पुंडीर, दून संस्कृति की अध्यक्ष कल्पना, अग्रसेन चैरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारी विजेंद्र अग्रवाल, घनश्याम, सुनील अग्रवाल, रविकांत आदि मौजूद रहे।
कृत्रिम पैर मिलने से हुआ फायदा
कालसी, देहरादून के संजय चौधरी (38) ने बताया कि करीब सात साल पहले उन्हें पैदल चलते हुए एक मोटरसाइकिल सवार ने टक्कर मार दी थी। इलाज चलता रहा लेकिन घाव ठीक न होने पर अल्सर हो गया। जिसके चलते तीन साल पहले पैर को काटना पड़ा। प्राइवेट नौकरी थी वह भी नहीं रही। अमर उजाला फाउंडेशन और हर्षल फाउंडेशन के सहयोग से जयपुर फुट वालों ने कृत्रिम पांव लगाया था। यह खराब हो चुका था। अब इस बार फिर शिविर में आकर कृत्रिम पांव लगने से खुश हूं।
कैलिपर लगा तो पैरा एथलीट बनने में मिली मदद
मकोठाकला लक्सर (हरिद्वार) निवासी संदीप चौधरी (33) ने बताया कि 10 साल की उम्र में डॉक्टर के गलत इंजेक्शन दिए जाने से दायां पैर काटना पड़ा था। तब कैलिपर लगाया था। वर्ष 2016 से नियमित रूप से हर्षल फाउंडेशन और अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित शिविर में कैलिपर बदलता हूं। कैलिपर लगने से पैरा स्पोर्ट्समैन बनने में मदद मिली। वह इंटरनेशनल पैरा एथलीट हैं। आज (रविवार) भी पांव में नया कैलिपर लगाया है।
मदद करने वालों का जताया आभार
कटारपुर, हरिद्वार से आए राजवीर सिंह (55) ने बताया कि 1998 में उनकी मोटरसाइकिल में एक वाहन ने टक्कर मार दी थी। जिसके चलते उनका पैर काटना पड़ा था। कृत्रिम पैर लगने से उन्हें अब चलने फिरने में दिक्कत नहीं होती। इस बार भी शिविर में आकर कृत्रिम पैर बदला है। मदद करने वालों का दिल से आभार जताता हूं।
कृत्रिम पैर लगाया, स्वरोजगार के बारे में भी बताया
अल्मोड़ा जिले के ग्राम कनखोली से पहुंचे महेश राम (56) ने बताया कि उनकी नस ब्लॉक हो गई थी। वर्ष 2018 में उनका पैर काटना पड़ा। 2019 में संस्था की ओर से कृत्रिम पैर लगाया गया। इस बार भी शिविर में कृत्रिम पैर लगाया गया। अब कोई दिक्क्त नहीं है। साथ ही शिविर में खादी ग्रामोद्योग ने स्वरोजगार के लिए सरकारी स्तर पर मिलने वाली मदद के बारे में भी बताया। वह दिल्ली, राजस्थान आदि जगह कुक रहे हैं। सरकारी मदद से वह फिर से गांव के आसपास कुकिंग का काम शुरू कर सकेंगे।
पैर कटा होने से घुटन होती थी
नई टिहरी से आई विमला देवी (62) ने बताया कि शुगर की बीमारी के कारण उनका पैर काटना पड़ा। उन्हें चलने फिरने में घुटन होती थी। शौच में भी बैठा नहीं जाता था। पहले भी कृत्रिम पैर लगाया था। इस बार शिविर में आकर कृत्रिम पैर बदला है। अब चलने फिरने में कोई परेशानी नहीं होती है।
मौके पर ही नाप लेकर बनाए कृत्रिम अंग
शिविर में महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर फुट की 12 सदस्यीय डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की टीम ने मौके पर ही दिव्यांगजनों के अंगों का नाप लेकर उनके शरीर में कृत्रिम अंग लगाए। इस टीम के प्रभारी पुरुषोत्तम भी शिविर में मौजूद रहे।
इन संस्थाओं का भी रहा सहयोग
दून संस्कृति, अग्रसेन चैरिटेबल ट्रस्ट, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन, एनआईईपीवीडी आदि।
यह फायदे भी लिए
शिविर में समाज कल्याण विभाग ने पेंशन व अन्य कल्याणकारी योजनाओं, जिला खादी ग्रामोद्योग विभाग ने स्वरोजगार योजनाओं और सीएमओ कार्यालय ने चिकित्सा प्रमाणपत्र भी बनाए। इसके अलावा शुभारती अस्पताल ने निशुल्क चिकित्सा जांच भी की।
कृत्रिम अंग पाकर खिले दिव्यांगों के चेहरे, बोले अतिथि- सभी को सम्मान से जीने का हक
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