Tuesday, November 26, 2024
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एनएसए अजीत डोभाल को राज्यपाल ने प्रदान की डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि

एनएसए अजीत डोभाल पंतनगर विश्वविद्यालय के 34 में दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचे। उनके पहुंचते ही यहां छात्रों में भारी उत्साह नजर आया। समारोह में राज्यपाल गुरमीत सिंह सहित कृषि मंत्री गणेश जोशी, डीजी आईसीएआर डाॅ हिमांशु पाठक व डेयर सचिव भी पहुंचे हैं। गुरुवार को पंतनगर विश्वविद्यालय के 34 में दीक्षांत समारोह के अवसर पर विद्वत शोभा यात्रा का दीक्षांत पंडाल में प्रवेश हुआ, जिसमें विवि के लगभग चार सौ प्राध्यापकों ने शोभा यात्रा में प्रतिभाग किया। दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक वर्ष 2020-21 व 2021-22 के यूजी के 1269, पीजी के 963 व पीएचडी के 271, कुल 2503 विद्यार्थियों दी उपाधि दी गई। साथ ही 26 स्वर्ण पदक, 22 रजत पदक व 22 कास्य पदक सहित विभिन्न अवार्ड भी प्रदान किए गए। इस बार फिर छात्राओं ने बाजी मारी है। 70 में से 48 पदकों पर छात्राओं ने कब्जा किया। वेटरिनरी स्नातक रोशनी व कृषि स्नातक सुरवि को कुलाधिपति स्वर्ण पदक मिला। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को राज्यपाल गुरमीत सिंह ने डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की।
कृषि उपाधि लेने वाले छात्र योद्धा
दीक्षांत समारोह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा, बॉर्डर में तैनात जवान की तरह ही कृषि उपाधि लेने वाले छात्र योद्धा है। कहा कि खाद्य सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का ही आयाम है। चीन में खेती कम फिर भी उत्पादकता हमसे अधिक। 15 फ़ीसदी क्षेत्रफल में ही खेती होती है चीन में, फिर भी हम से 22% उत्पादकता अधिक है। एनएसए ने अगले 10 वर्ष में भारत को विश्व में खाद्य उत्पादकता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनाने का आह्वान किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि पंत विश्वविद्यालय हमारे राष्ट्र का गौरव है। विवि ने देश की सेवा उस समय पर को थी, जब देश आजाद हुआ था। जब भारत का विभाजन हुआ तो 22 मिलियन हेक्टर भूमि पाकिस्तान में चली गई। उपजाऊ भूमि चली गई। जिससे 35 करोड़ की जनता के लिए अन्न पर्याप्त नहीं था। आजादी के समय देश मे 50 मिलियन टन खाद्यान उत्पादन हुआ था, जो वर्तमान में बढ़कर 340 मिलियन टन उत्पादन हो रहा है।
शोध कर्ताओं का अहम योगदान
पंत विवि की वजह से देश खाद्यान्न में न केवल आत्मनिर्भर हुआ, बल्कि निर्यात भी कर रहा है। इस विश्वविद्यालय का और यहां के शोध कर्ताओं का अहम योगदान है। यहां से 1960 से विज्ञानी निकल रहे हैं। जिस वक्त देश आजाद हुआ इस वक्त चीन और भारत का उत्पादन बराबर थी। चीन का क्षेत्रफल भारत से अधिक है, लेकिन चीन में सिर्फ 15 प्रतिशत भूमि पर खेती होती है। वर्तमान में भारत में 1 .7 मिलियन स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में और चीन ने 1.4 मिलियन स्क्वायर भूमि में खेती होती है, लेकिन चीन का उत्पादन हमारे यहां से तीन गुना ज्यादा होता है। डोभाल ने कहा की भारत के कृषि भूमि से कम चीन में होने पर भी वहां उत्पादन अधिक है। हमें अपना प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा की आप सब इसके सैनिक हैं जो उत्पादकता को बढ़ाएंगे।

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