आयुष्मान कार्ड के भरोसे डायलिसिस कराने वाले मरीजों के प्रति सरकार बेपरवाह बनी हुई है। उनकी जिंदगी सिर्फ अफसरों के आश्वासन पर चल रही है। बेस अस्पताल में पीपीपी मोड पर संचालित डायलिसिस सेंटर में आयुष्मान कार्ड से मरीजों का डायलिसिस बंद कर दिया गया।
ऐसे में दूर दराज के क्षेत्रों से आए गंभीर मरीज तीन घंटे तक तड़पते रहे। मामला बिगड़ता देख स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सेंटर संचालित करने वाले कंपनी को जल्द बकाया भुगतान दिलाने का आश्वासन देकर डायलिसिस की सुविधा शुरू कराई। इसके बाद मरीजों को थोड़ी राहत मिली।
बेस अस्पताल में यह समस्या लगातार बनी हुई है। कंपनी पहले भी आयुष्मान कार्ड पर डायलिसिस सुविधा देने से इनकार कर चुकी है और मंगलवार को भी मरीज डायलिसिस के लिए भटकते रहे। कुमाऊं में पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। आयुष्मान कार्ड आदि का हवाला देकर निशुल्क इलाज के सरकारी दावों की भी हवा निकल रही है। बेस अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने वाली नेफ्रो प्लस कंपनी ने तीन करोड़ रुपये के बकाया भुगतान की मांग करते हुए आयुष्मान कार्ड पर निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया। इससे डायलिसिस के लिए आए करीब 80 मरीज बुरी तरह से घबरा गए।
सुबह 7 बजे से 10 बजे तक उनका डायलिसिस नहीं हुआ। इस पर मरीजों के साथ आए तीमारदारों का सेंटर के प्रबंधक से विवाद भी हुआ। बाद में डीजी हेल्थ डॉ. तृप्ति बहुगुणा के 12 मार्च से पहले भुगतान के आश्वासन के बाद डायलिसिस शुरू किया गया।
ऐसे कैसे होगा किडनी मरीजों का इलाज! आयुष्मान कार्ड पर डायलिसिस के लिए अफसरों के आश्वासन के भरोसे ‘जिंदगी’
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