उत्तराखंड में पर्यटन विकास की तस्वीर उम्मीद बंधा रही है। पर्यटन को आर्थिकी व रोजगार का सशक्त माध्यम बनाया जा सकता है। जनसामान्य के बीच इस परिकल्पना को ले जाने में सरकारों को सफलता मिली है, लेकिन सही मायने में पर्यटन को रोजगार, स्वरोजगार के रूप में स्थापित करने की चुनौती अभी भी बरकरार है। होम स्टे जैसी कम खर्चीली योजना की शुरुआती सफलता पर्यटन सुविधाओं के विकास के मद्देनजर नई कहानी गढ़ती दिख रही है। पिछले 10 वर्षों में पर्यटन-तीर्थाटन के क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं पर काम हुआ है और बीते पांच वर्षों में इनमें तेजी आई है। इससे भविष्य की संभावनाओं के द्वार भी खुले हैं। पर्यटन सुविधाओं के विस्तार को पर्यटक व श्रद्धालु स्वयं भी महसूस कर रहे हैं। राज्य में चल रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा पर्यटन योजनाओं का अपने अभियान में प्रयोग करने के साथ ही पांच साल में पर्यटन विकास के आंकड़ों को रख रही है। वहीं, कांग्रेस यह आरोप लगाने से नहीं चूक रही कि उसके कार्यकाल की योजनाओं को नाम बदलकर भाजपा ने आगे बढ़ाया है। चुनाव के दौरान राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का क्रम तो चलता रहेगा, लेकिन असल चुनौती तो कोरोनाकाल में पर्यटन उद्योग पर पड़े असर को देखते हुए इसकी गाड़ी को तेजी से आगे दौड़ाने की है, ताकि यह प्रदेश की आर्थिकी को और सशक्त बना सके।
पर्यटन के बजट परिव्यय और राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) से उसके प्रतिशत को देखें तो इसमें कुछ सुधार दिखाई देता है। वर्ष 2004-05 में पर्यटन का बजट परिव्यय कुल बजट का 0.67 प्रतिशत था, जो वर्ष 2012-13 में घटकर 0.30 प्रतिशत पर आ गया। वर्ष 2016-17 में यह बढ़कर 0.45 प्रतिशत और वर्ष 2019-20 में 0.50 प्रतिशत हुआ। जीएसडीपी में पर्यटन का योगदान वर्ष 2012-13 में 0.04 प्रतिशत और 2016-17 में 0.08 प्रतिशत था। वर्ष 2019-20 में यह बढ़कर 0.09 प्रतिशत हो गया।