पाटी (चंपावत)। हरिद्वार से आ रही एक कार पाटी से एक किमी पहले गहरी खाई में गिर गई। दुर्घटना में मां-बेटे और चालक की मौके पर ही मौत हो गई। सभी मृतक पाटी के लखनपुर लड़ा क्षेत्र के निवासी थे। बुरी तरह से घायल मंजू गहतोड़ी ने लहूलुहान हालत में अंधेरी रात में डेढ़ किमी चलकर हादसे की सूचना दी। अगर वह हिम्मत न दिखाती तो रात में हुई कार दुर्घटना का पता देर में चलता। कार के 400 मीटर खाई में गिरने से मंजू भी अचेत हो गईं थीं। होश आने पर अंधेरे में वह खाई से सड़क तक पहुंची और फिर वह शॉर्टकट रास्ते से पैदल चलकर न्यू कॉलोनी पहुंच कर पड़ोसी गिरीश पचौली का हादसे की सूचना दी। प्राथमिक इलाज के बाद परिजन मंजू को भोजीपुरा (बरेली) के एक निजी अस्पताल में ले गए हैं। कार में चालक के अलावा एक परिवार के तीन लोग थे। परिवार हरिद्वार में पिता का श्राद्ध कर लौट रहा था। हादसे की वजह तेज हवा और धुंध बताई जा रही है। डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि दुर्घटना की मजिस्ट्रेटी जांच कराई जाएगी। पाटी थाने में दुर्घटना का मुकदमा दर्ज किया गया है। एसपी देवेंद्र पींचा ने बताया कि हरिद्वार से पाटी आ रही कार संख्या (यूके 03 टीए/ 7566) हल्द्वानी-देवीधुरा-लोहाघाट राज्यमार्ग पर बृहस्पतिवार रात 10:30 बजे पाटी से करीब एक किमी पहले 400 मीटर गहरी खाई में गिर गई। कार के परखचे उड़ गए। चालक सहित तीन यात्रियों की मौके पर मौत हो गई। इनमें चालक बसंत गहतोड़ी (52) पुत्र स्व. ईश्वरी दत्त गहतोड़ी, शिक्षा विभाग के लिपिक प्रदीप गहतोड़ी (48) पुत्र स्व. बलदेव गहतोड़ी और प्रदीप की मां देवकी गहतोड़ी (68) सभी लखनपुर लड़ा पाटी (वर्तमान में न्यू कॉलोनी, पाटी) के निवासी थे, जबकि शिक्षा विभाग कर्मी प्रदीप गहतोड़ी की पत्नी मंजू गहतोड़ी (45) हादसे में बुरी तरह जख्मी हो गईं।
खराब मौसम के चलते बचाव कार्य में आईं दिक्कतें
पाटी में कार हादसे की जानकारी मिलने के बाद सबसे पहले ग्रामीण मौके पर पहुंचे। कुछ देर बाद पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, पुलिस-प्रशासन, एसडीआरएफ, स्वास्थ्य विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंची। अंधेरे और खराब मौसम के चलते बचाव कार्य में परेशानी हुई। घटना के करीब छह घंटे बाद 4:30 बजे रस्सियों के सहारे शवों को खाई से निकाला जा सका। घायल मंजू को पाटी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। डॉ. सौरभ सैनी ने प्राथमिक इलाज के बाद घायल को आपात चिकित्सा सेवा 108 की एंबुलेंस से चंपावत जिला अस्पताल रेफर किया। जहां डॉ. राजा प्रसाद ने भी मंजू को हायर सेंटर रेफर कर दिया। परिजन मंजू को भोजीपुरा (बरेली) के निजी अस्पताल में ले गए। वहीं तीनों मृतकों का शुक्रवार शाम अंतिम संस्कार किया गया। बसंत गहतोड़ी को बेटे धीरज ने मुखाग्नि दी, जबकि देवकी गहतोड़ी और उनके बेटे प्रदीप गहतोड़ी की चिता को प्रदीप के इकलौते बेटे अंकुर ने मुखाग्नि दी। शोक में बाजार बंद रहे। व्यापार मंडल अध्यक्ष गोपेश पचौली ने कहा कि शिक्षा विभाग के ब्लॉक संसाधन केंद्र में कार्यरत प्रदीप गहतोड़ी बेहद व्यवहार कुशल और मृदुभाषी थे।
मृतकों की सूची
- चालक बसंत गहतोड़ी (52) पुत्र स्व. ईश्वरी दत्त गहतोड़ी।
- शिक्षा विभाग में लिपिक प्रदीप गहतोड़ी (48) पुत्र स्व. बलदेव गहतोड़ी।
- देवकी गहतोड़ी (68) पत्नी बलदेव गहतोड़ी।
घायल महिला रेफर
मंजू गहतोड़ी (45) पत्नी प्रदीप गहतोड़ी। भोजीपुरा अस्पताल में इलाज चल रहा है।
टाइमलाइन
रात 10:30 बजे: कार खाई में गिरी।
रात 12 बजे: घायल मंजू ने पड़ोसी ग्रामीण को सूचना दी।
रात 12:15 बजे: ग्रामीण मौके पर पहुंचे।
रात 1:45 बजे एसडीआरएफ की टीम पहुंची।
रात 2:35 बजे: सबसे पहले प्रदीप का शव निकाला गया।
तड़के 3:20 बजे: दूसरा शव चालक बसंत का निकाला गया।
रात 3:30 बजे: घायल मंजू गहतोड़ी को चंपावत जिला अस्पताल लाया गया।
तड़के 4:20 बजे: तीसरा शव खाई से निकाला जा सका।
इन लोगों ने सहयोग किया
पाटी के दरोगा मोहन चंद्र भट्ट, बीएस बिष्ट, अग्निशमन दस्ते के राजेश खर्कवाल, जगदीश बोहरा, भरत बोहरा, ग्रामीण गिरीश चंद्र, दीपक भट्ट, खीमानंद गहतोड़ी, केएस नेगी, महेश पचौली, सोनू भट्ट, मयंक गहतोड़ी, सचिन जोशी आदि।
घायल मंजू ने डेढ़ किमी चलकर खटखटाया पड़ोसी का दरवाजा
पाटी (चंपावत)। अगर हादसे की अकेली घायल मंजू गहतोड़ी ने हिम्मत न दिखाई होती तो रात में हुई कार दुर्घटना का पता देर में चलता। कार के 400 मीटर खाई में गिरने से घायल मंजू भी अचेत हो गईं थीं। कुछ देर बाद उन्हें होश आया तो अंधेरे में मंजू खाई से सड़क तक पहुंची और फिर वह शॉर्टकट रास्ते से पैदल चलकर न्यू कॉलोनी पहुंची। वहां मंजू ने रात 11:30 बजे पड़ोसी गिरीश पचौली का दरवाजा खटखटाया।
रात में लहूलुहान मंजू को देख गिरीश सन्न रह गए। उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला और तुरंत पुलिस और आपात सेवा को कॉल की। घायल मंजू को आपात सेवा 108 की एंबुलेंस से पाटी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। पचौली बताते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम से एक बार तो उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। उन्हें समझ नहीं आया कि क्या किया जाए लेकिन फिर वे संभले और उन्होंने पुलिस और आपात सेवा समेत आसपास के लोगों को फोन से सूचना दी। इसके बाद ग्रामीणों ने घटनास्थल पर जाकर बचाव कार्य किया। अगर हौसला दिखाते हुए मंजू पड़ोसी के घर तक न पहुंचती, तो दुर्घटना का पता चलने में देर हो गई होती। ग्रामीणों का कहना है कि जिस जगह कार खाई में गिरी है, सड़क से वह हिस्सा पेड़, पौधों से ढका हुआ है।
टॉर्च और मोबाइल की रोशनी से निकाले गए शव
पाटी (चंपावत)। आपदा से निपटने के बड़े-बड़े दावों के बीच एक बार फिर संकट के समय व्यवस्था उम्मीद जगाने में नाकाम रही। रात के समय हुए इस हादसे ने दावों की पोल खोल दी। यहां तक कि राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) के पास भी उजाले की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। नाकाफी उजाले के कारण ग्रामीणों ने टॉर्च, इमरजेंसी लाइट, मोबाइल फोन की रोशनी से शवों को निकालने में मदद की।
पिछले महीने ही हुआ था बेटे का जनेऊ
पाटी (चंपावत)। शिक्षा विभाग में लिपिक प्रदीप गहतोड़ी के पिता बलदेव गहतोड़ी का निधन करीब दो दशक पहले हुआ था। इस बार किसी कारण वह अपने पिता का श्राद्ध निर्धारित तिथि पर नहीं कर पाए थे। इस कारण 11 मई को वे हरिद्वार में इस रस्म को पूरा करने के लिए गए थे। बृहस्पतिवार को कार्यक्रम पूरा करने के बाद हरिद्वार से लौटे तो रात को कार के खाई में गिरने से यह अनहोनी हो गई। प्रदीप गहतोड़ी ने हरियाणा के हिसार की निजी कंपनी में सेवारत इकलौते बेटे अंकुर का 22 अप्रैल को यज्ञोपवीत संस्कार भी कराया था।
बुरे हैं पाटी मुर्दाघर के हाल
पाटी (चंपावत)। पाटी मुर्दाघर (मोर्चरी) के हाल बेहद बुरे हैं। पोस्टमार्टम के दौरान शुक्रवार को इस मुर्दाघर की बदहाली जगजाहिर हुई। शवों को रखने की जगह नहीं थी। न बिजली, न पानी और न ही यहां स्टाफ। चंपावत से आए डॉ. कुलदीप यादव और डॉ. प्रिया ने तीनों शवों के पोस्टमार्टम किए। लोगों ने पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल से मुर्दाघर को सुधारने की मांग की। फर्त्याल ने इसमें जरूरी व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया। वहीं सीएमओ डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि इस मुर्दाघर में आमतौर पर पोस्टमार्टम नहीं होते हैं। पोस्टमार्टम लोहाघाट में कराए जाते हैं। विशेष परिस्थितियों में ही शुक्रवार को पाटी में पोस्टमार्टम की अनुमति दी गई। इससे पहले यहां वर्ष 2010 में सुनडुंगरा में फैली महामारी के दौरान पोस्टमार्टम हुए थे।
तीन साल से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं साढ़े चार माह में हो चुकीं
चंपावत। वर्ष 2022 का पांचवां महीना मई अभी आधा भी नहीं बीता है, लेकिन ये सड़क दुर्घटना के मद्देनजर बेहद खौफनाक है। इस साल साढ़े चार माह (13 मई तक) से भी कम समय में जितने लोगों की जान गई हैं, उतनी मौतें पिछले तीन वर्ष में नहीं हुईं। इस साल अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 42 लोग घायल हुए हैं। साल 2022 का सबसे मनहूस दिन था 21 फरवरी। जब ककनई में बरात की एक जीप गहरी खाई में समा गई और 14 लोगों की मौत हो गई। मजिस्ट्रेटी जांच में हादसे की मुख्य वजह चालक का शराब पीकर जीप चलाना बताया गया। लगातार दुर्घटनाओं के बाद परिवहन विभाग से लेकर पुलिस और प्रशासन ने कई अभियान चलाए लेकिन वे बढ़ती दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे। अप्रैल में सड़क हादसों में आठ लोगों की मौत हुई जबकि बीते तीन वर्षों में कुल 25 लोगों की मौत हुई। जीप हादसों की सबसे बड़ी वजह ओवरलोडिंग, ओवरस्पीड, लापरवाही से वाहन चलाना, नशाखोरी और खराब सड़कें रहीं। एआरटीओ सुरेंद्र कुमार का कहना है कि स्टाफ की कमी के बावजूद नियमित अभियान चलाकर वाहन दुर्घटनाएं रोकने का प्रयास किया जाएगा।