भारत-चीन सीमा पर स्थित दारमा, व्यास, चौदास (डीबीसी) लैंडस्केप के दारमा घाटी में हिम तेंदुआ और थरवा पहली बार कैमरे में कैद हुए हैं। दारमा घाटी के 8-10 हजार फुट की ऊंचाई वाले गांवों में हिम तेंदुए और अन्य वन्य जीव नजर आने से द माउंटेन राइड के टीम सदस्यों में खुशी की लहर है। धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्र में समय-समय पर दुर्लभ हिम तेंदुआ, रेड फॉक्स, हिमालयी थार, ब्लू शीप सहित अन्य की मौजूदगी होने की बात कही जाती थी लेकिन कोई प्रमाण नहीं था। द माउंटेन राइड के टीम लीडर जयेंद्र सिंह फिरमाल, दिनेश बनग्याल और सोमी सिंह की टीम दारमा घाटी के उच्च हिमालयी गांवों में पिछले छह सालों से हिम तेंदुआ और अन्य दुर्लभ वन्य जीवों की खोजबीन कर रहे थे।
इसी योजना के अंतर्गत यह टीम पिछले सप्ताह दारमा घाटी गई। इस दौरान टीम ने लगभग 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। टीम को चार और पांच फरवरी को शाम पांच बजे हिम तेंदुए नजर आए। टीम के सदस्यों ने साहस जुटाकर लगभग 20 मीटर की दूरी से अपने कैमरे से फोटो ली और वीडियो भी बनाया। टीम लीडर फिरमाल ने बताया कि खोज के दौरान उनको हिम तेंदुआ के अलावा रेड फॉक्स, हिमालयी थार, ब्लू शीप और घुरल सहित अन्य जीव दिखाई दिए। इन सभी के फोटोग्राफ और वीडियो भी लिए हैं। टीम लीडर ने बताया कि छह सालों में उनके लिए यह सबसे खुशी का पल है। कल्याण संस्था धारचूला शाखा के अध्यक्ष दीपक सिंह रौंकली का कहना है कि द माउंटेन राइड पिछले कई सालों से दारमा और व्यास घाटी में ट्रेकिंग कर रही है। इन युवाओं ने जान जोखिम में डालकर दुर्लभ वन्य जीवों की मौजूदगी का पता लगाया है। ऐसे में इन युवाओं को सम्मानित किया जाना चाहिए। इसके अलावा वन्य जीवों के संरक्षण के लिए कार्य करना चाहिए। दारमा व्यास चौदास लैंडस्केप में हिम तेंदुआ सहित अन्य जीवों के मौजूद होने की पुष्टि हुई है। सेक्योर हिमालया या अन्य योजना के तहत लैंडस्केप में विभिन्न कार्यक्रमों के लिए प्रोजेक्ट बनाने के साथ ही हिम तेंदुआ एवं अन्य वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सरकार बेहतर कदम उठाएगी ऐसा विश्वास है। – बिशन सिंह बौनाल सेवानिवृत्त एडीजी प्रोजेक्ट टाइगर, वाइल्ड लाइफ
दारमा घाटी में कैमरे में कैद हुआ हिम तेंदुआ, कई दुर्लभ वन्यजीव भी आए नजर
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