Friday, November 1, 2024
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हेमकुंड साहिब यात्रा पथ पर दुश्वारियों का अंबार, व्यवस्थाओं की भरमार

हेमकुंड साहिब के आस्था पथ पर दुश्वारियों का अंबार है। शासन-प्रशासन की बैठकों और निरीक्षणों का असर व्यवस्थाओं पर नजर नहीं आ रहा है। आस्था पथ पर पेयजल व सार्वजनिक शौचालय की कमी है। घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक छह किलोमीटर की विकट चढ़ाई पर मात्र एक जगह पर घोड़े-खच्चरों के लिए चरी (पानी का तालाब) की व्यवस्था है। हेमकुंड साहिब का आस्था पथ 19 किलोमीटर का है। यात्रा के प्रवेश द्वार गोविंदघाट से पुलना गांव तक पांच किलोमीटर सड़क मार्ग है, जो कि अच्छी स्थिति में है। पुलना तक तीर्थयात्री लोकल वाहनों से पहुंचते हैं और यहां से पैदल यात्रा शुरू होती है। यहीं से दुश्वारियां भी शुरू हो जाती हैं। पुलना में टंकी तो है, लेकिन पानी नहीं है। यहां शौचालय और पथ प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है। पुलना से करीब डेढ़ किमी की दूरी पर पैदल रास्ता भूस्खलन की चपेट में है, जिससे यहां लोनिवि करीब 300 मीटर नए पैदल रास्ते का निर्माण कार्य में जुटा है। भ्यूंडार गांव के समीप पैदल रास्ते में गंदा पानी बह रहा है, जिससे तीर्थयात्रियों को आवाजाही में दिक्कतें आ रही हैं। भ्यूंडार में वर्ष 2017 में पुष्पावती नदी पर लोनिवि ने नया पुल बनाने का काम शुरू किया था, लेकिन आज तक इस पर आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। यहां करीब 700 मीटर रास्ता नदी किनारे से होकर गुजर रहा है।
घांघरिया में खंडहर बने सार्वजनिक शौचालय
हेमकुंड साहिब यात्रा के मुख्य पड़ाव घांघरिया और कांजिला में जिला पर्यटन विभाग की ओर से बनाए गए सार्वजनिक शौचालय खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। शौचालयों में गंदगी है और पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। भ्यूंडार और पुलना के बीच पांच किलोमीटर पर एक सुलभ शौचालय की व्यवस्था है। कांजिला में अस्थाई हेलीपेड के समीप सुलभ इंटरनेशनल संस्था के दो अस्थाई शौचालय हैं। घांघरिया में सार्वजनिक शौचालय का संचालन ईडीसी (इको डेवलपमेंट कमेटी) कर रही है, जो सही स्थिति में है।
घोड़े-खच्चरों के लिए गरम तो दूर ठंडा पानी भी नहीं
21 मई को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने गोपेश्वर में आयोजित बैठक में यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के लिए जगह-जगह चरी बनाकर गरम पानी की व्यवस्था करने के निर्देश पर्यटन विभाग को दिए थे। लेकिन मार्ग पर गरम तो दूर ठंडा पानी भी उपलब्ध नहीं है। घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक छह किमी की खड़ी पैदल चढ़ाई पर घोड़े-खच्चरों के लिए एकमात्र चरी (पानी का तालाब) है। वह भी घांघरिया से करीब 500 मीटर की दूरी पर।
ग्लेशियर प्वाइंट पर नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम
घांघरिया से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर अटलाकुड़ी ग्लेशियर प्वाइंट पर आस्था पथ खतरनाक बना हुआ है। यहां धीरे-धीरे ग्लेशियर खिसक रहा है। यहां एसडीआरएफ की तैनाती भी नहीं है। 26 मई की रात अचानक ग्लेशियर टूटकर रास्ते पर आ गया था। मजदूरों ने बर्फ को हटा तो दिया है, लेकिन यहां लगातार पानी का रिसाव हो रहा है और रास्ता फिसलन भरा हो गया है। यहां तीर्थयात्री एक दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ रहे हैं।
दुश्वारियों पर आस्था पड़ रही भारी
हेमकुंड साहिब मार्ग पर दुश्वारियों पर आस्था भारी पड़ रही है। तीर्थयात्री यात्रा पथ पर एक दूसरे को सहारा देकर और सतनाम वाहे गुरु के जयघोष के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक छोर से श्रद्धालु ‘जो बोले सो निहाल’ के जयकारे लगा रहा है तो दूसरे छोर से ‘सत श्री अकाल’ के जयघोष गूंज रहा है। हेमकुंड साहिब में पहुंचकर तीर्थयात्रियों की पैदल रास्ते की थकान काफूर हो जाती है। तीर्थयात्री हेमकुंड में पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद गुरुद्वारे में मत्था टेकने पहुंच रहे हैं। करीब दो घंटे यहां गुजारने के बाद रात्रि विश्राम के लिए छह किमी दूर घांघरिया पहुंच रहे हैं।

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