विघ्न विनाशक मंगलमूर्ति श्री गणेश आज शुभ मुहूर्त में पंडालों और घरों में विराजेंगे। गणेश चतुर्थी पर हर गली और नुक्कड़ पर मंगलमूर्ति की मूर्ति स्थापित की जाएगी। गजानन को उनके पसंदीदा मोदक का भोग लगाया जाएगा। बुधवार से शुरू हुए आयोजन दस दिन तक चलेंगे। ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य के प्रतीक भगवान गणेश का जन्मोत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी यानी 31 अगस्त को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज ने कहा कि श्री गणेश को प्रथम पूजनीय देव माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर रात में चंद्रदेव के दर्शन नहीं करना चाहिए। 30 अगस्त की शाम 3.33 बजे से शुरू होने वाली चतुर्थी तिथि 31 अगस्त को शाम 3.22 बजे समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह साढ़े 11 बजे से दोपहर दो बजे तक रहेगा। उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दिन में हुआ था। उस दिन बुधवार था। इस साल भी कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है।
31 अगस्त से नौ सितंबर तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा। पंडित विनोद झा ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते बीते दो वर्ष से गणपति उत्सवों के पंडाल सूने रहे, लेकिन इस बार भक्तों में उल्लास देखा जा रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चकराता रोड से लेकर सभी बाजारों में गणपति की मूर्तियों का बाजार लगा है। बाजार में श्रीगणेश की मूर्तियों की सुंदर दुकानें सजी हैं। चकराता रोड, राजपुर रोड, पलटन बाजार, धर्मपुर समेत शहरभर के छोटे-बड़े बाजारों में घरों में स्थापित करने वालीं छोटी मूर्तियां उपलब्ध हैं। इनकी कीमत 100 से 5000 रुपये तक है। मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों में स्थापना के लिए बड़ी मूर्तियां बाहर से मंगाई जा रही हैं। इसके साथ ही श्रीगणेश का सिंहासन, वस्त्र और सजावटी सामान भी दुकानों पर उपलब्ध हैं। मंगलवार को मूर्ति और अन्य पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए बाजारों में भीड़ रही।
दुर्लभ संयोग में आज घरों और पंडालों में विराजेंगे बप्पा, ये है पूजा का शुभ मुहूर्त
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