Thursday, October 31, 2024
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सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी के लिए चाहिए कानून, विस सत्र में विधेयक ला सकती है सरकार

राज्य की महिलाओं को राजकीय सेवा में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ने के लिए सरकार को अधिनियम चाहिए। यही वजह है कि सरकार अध्यादेश लाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, इस महीने संभावित विधानसभा सत्र के दौरान सरकार विधेयक ला सकती है। राज्य की महिलाओं को 2001 और 2006 में किए गए शासनादेशों के आधार पर सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान था, जिस पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। इस रोक के साथ ही राज्य की महिलाएं 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण से वंचित हो गई थीं। राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था। माना जा रहा है कि अधिनियम बन जाने के बाद जहां सुप्रीम कोर्ट में सरकार के पास क्षैतिज आरक्षण के पक्ष में पैरवी करने का एक विधिक आधार हो जाएगा।
सीएम धामी ने लिया स्टैंड
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, न्याय विभाग का परामर्श के विपरीत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महिला क्षैतिज आरक्षण के मामले में स्टैंड लिया। उन्होंने इस मामले में शासन को अधिनियम बनाने के लिए अध्यादेश लाने के निर्देश दिए। साथ ही उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए एसएलपी दायर करने के निर्देश दिए।
अब सरकार तुरंत अध्यादेश या विधेयक लाए
भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने राज्य की महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस मामले में मजबूत पैरवी के लिए बगैर देरी किए अध्यादेश या विधेयक लाना चाहिए। इससे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हमारी सरकार की प्रतिबद्धता व वचनबद्धता भी प्रदर्शित होगी। मुख्यमंत्री धामी पहले ही साफ कर चुके थे कि सरकार राज्य निर्माण की धुरी महिलाओं के हितों पर आंच नहीं आने देगी। विपक्षी इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर तूल देने का काम कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। इससे सरकार की महिला हितों को लेकर प्रतिबद्धता स्पष्ट हुई है। – महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा।
इगास पर इस आदेश का आना महत्वपूर्ण

राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत है। राज्य सरकार ने इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट में ठोस पैरवी की। उसी के परिणाम स्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को यथावत रखने का आदेश सुनाया है। उत्तराखंड राज्य यहां की महिलाओं के संघर्ष के बाद प्राप्त हुआ। यह आदेश इस वक्त और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब पूरा उत्तराखंड अपना लोकपर्व इगास मना रहा है। – प्रेमचंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री

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