Thursday, May 8, 2025
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भूस्खलन होने से 120 गांव के लोगों की बढ़ी परेशानी, लगातार गिर रहा मलबा

काठगोदाम-हैड़ाखान मार्ग पर भूस्खलन होने से सड़क पूरी तरह बंद हो गई है। ग्रामीण कच्चे रास्ते पर खड़ी चढ़ाई चढ़कर किसी तरह आवागमन कर रहे हैं। रोजमर्रा का सामान गांवों में पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। इस वजह से यहां महंगाई आसमान छू रही है। स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। बारिश के दिनों में हल्द्वानी से हैड़ाखान मार्ग पर काठगोदाम से करीब पांच किमी की दूरी पर भूस्खलन शुरू हुआ था। इस वजह से सड़क पर मलबा आने लगा। बाद में मलबा हटाकर किसी तरह सड़क खोल दी गई। किसी ने नहीं सोचा था कि बारिश रुकने के बावजूद अब इससे भी बड़ी आफत आने वाली है। ग्रामीणों का कहना है कि बीती नौ नवंबर को भूकंप आने के बाद पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया। धीरे-धीरे पहाड़ी का एक हिस्सा नीचे आ गया। आवागमन पूरी तरह ठप हो गया।
मार्ग बंद होने वाली जगह से आगे करीब 45 किमी तक रास्ता बंद हो गया। ये मार्ग आगे खनस्यूं तक जाता है। इस मार्ग पर रौशिला, बसोली, पनिया मेहता, पनिया बोर, ओखलढूंगा, बढ़ेत, स्पोडा, हैड़ाखान, मुरखुड़िया, गाजा समेत 120 गांव आबाद हैं जिनमें करीब 20 हजार की आबादी रहती है। ये लोग पूरी तरह से संकट में आ गए हैं। शुरुआती क्षेत्र के गांवों के लोगों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। ये लोग मुश्किलों में जीवन काट रहे हैं। जल्द हालात सुधरने के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। कॉलेज आने वाले छात्र-छात्राओं को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
पहाड़ी से लगातार गिर रहा मलबा
पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा नीचे आ गया है। इससे मलबा लगातार गिर रहा है। पिछले दिनों भू-वैज्ञानिकों ने मौका मुआयना किया। प्राथमिक जांच में पाया गया कि मलबा हटाने से समस्या और बढ़ सकती है, इसलिए जेसीबी से मलबा हटाने का काम रोक दिया गया है। पहाड़ी का झुकाव नीचे की ओर है। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि इस पहाड़ी का बड़ा हिस्सा नीचे ढह जाएगा। अगर इन दिनों बारिश हुई तो स्थिति को संभालना और मुश्किल हो जाएगा।
नई सड़क के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी जरूरी
नई सड़क बनाने के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी होगी। नई सड़क मलबा गिरने वाली जगह से करीब आधा किमी पहले से शुरू होगी और आगे बैंड नंबर नौ पर जाकर मिलेगी। प्रशासन को करीब तीन किमी लंबी नई सड़क बनानी होगी। इसमें वन विभाग से अनुमति मिले बिना कुछ नहीं हो सकता है।
अभी दो किमी की खड़ी पहाड़ी पर हो रही चढ़ाई
ग्रामीणों ने किसी तरह से जीवन-यापन जारी रखने के लिए दो किमी की खड़ी पहाड़ी पर चढ़ाई का रास्ता चुना है। ये काफी पुराना पैदल मार्ग है जो मलबा गिरने वाली जगह से पीछे करीब 300 मीटर की दूरी पर शुरू होता है। फिर ये रास्ता सड़क के आगे के हिस्से पर बैंड नंबर नौ पर जाकर मिलता है। कच्चे रास्ते के दोनों मुहाने पर वाहन खड़े हैं। ग्रामीण एक मुहाने से दूसरे मुहाने तक पहुंचने के लिए पैदल जा रहे हैं। दो किमी की दुर्गम चढ़ाई के बाद लोग सड़क पर आ पाते हैं।
सिलिंडर 2000 तो टमाटर 100 रुपये किलो
गांवों तक रसद और अन्य जरूरी सामान पहुंचाना मुश्किल हो गया है। पहले सामान को हल्द्वानी से खरीदकर मलबे वाली जगह तक लाया जाता है। फिर सिलिंडर, सब्जी और अन्य जरूरी सामान सिर पर लादकर लोग बैंड नंबर नौ तक पहुंचते हैं। यहां से फिर दूसरे वाहनों से सामान को गांवों में पहुंचाया जा रहा है। सामान की कमी के चलते दाम बढ़ गए हैं। घरेलू सिलिंडर 2000 रुपये, टमाटर 100 रुपये किलो, आलू 80 रुपये किलो, बंदगोभी 70 रुपये किलो मिल रही है। पेट्रोल और डीजल 150 रुपये लीटर तक बिक रहा है। ग्रामीण पहले हल्द्वानी तक 50 से 70 रुपये में पहुंचते थे। अब दो जगह वाहन बदलने की वजह से हल्द्वानी तक आने में ही ग्रामीणों को 150 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं।

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