Wednesday, October 30, 2024
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जीपीएस लगाने वाली कंपनियों से संपर्क कटा

हल्द्वानी। वाहनों में जीपीएस लगाने वाली कुछ कंपनियों का आरटीओ से संपर्क कट गया है। इस वजह से वाहनों की फिटनेस में दिक्कत आ रही है। आरटीओ ने इन कंपनियों की रिपोर्ट बनाकर देहरादून भेज दी है। रिपोर्ट के आधार पर इन कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी। ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) के जरिये वाहनों की मौजूदा स्थिति का पता लगाया जाता है। इसके लिए शासन स्तर से व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने की कवायद शुरू हुई। एक साल पहले परिवहन विभाग के मुख्यालय से अधिकृत की गईं चार कंपनियों को इसका ठेका दिया गया था। वाहन स्वामियों से इसके लिए सात हजार रुपये का शुल्क लिया जाता है। इन कंपनियों ने वाहनों में जीपीएस भी लगाए। बाद में इनमें तीन कंपनियां लापता हो गईं।
नवीनीकरण के लिए परिवहन विभाग ने इन कंपनियों से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया। आरटीओ हल्द्वानी क्षेत्र के 12 हजार वाहनों में जीपीएस लगाने और नवीनीकरण का काम ठप हो गया है। इन कंपनियों पर कार्रवाई के लिए आरटीओ हल्द्वानी ने रिपोर्ट बनाकर देहरादून भेज दी है जिसके बाद इन कंपनियों पर कार्रवाई होने के आसार बढ़ गए हैं।
जीपीएस में लगी सिम को पोर्ट करने पर विचार
हल्द्वानी। वाहनों में लगाए जाने वाले जीपीएस में ई-सिम भी लगाया जाता है जिससे वाहनों की लोकेशन दर्ज होती है। आरटीओ इस विकल्प पर भी गौर कर रहा है कि पुराने जीपीएस में लगे ई-सिम को दूसरी कंपनी में पोर्ट कर दिया जाए, हालांकि अभी इस मामले में मुख्यालय की ओर से हरी झंडी नहीं मिली है। माना जा रहा है कि 12 हजार से ज्यादा वाहनों में दोबारा जीपीएस लगाना संभव नहीं हो पाएगा। जीपीएस लगाकर लापता हुईं कंपनियों पर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट बनाकर देहरादून भेज दी गई है। जीपीएस में लगे सिम को दूसरी कंपनी में पोर्ट करने पर भी विचार हो रहा है। – संदीप सैनी, आरटीओ (प्रशासन), हल्द्वानी।

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