भारत चीन सीमा पर बसे चमोली जिले का विकासखंड जोशीमठ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां पर नीती व मलारी घाटी के गांव सीमा क्षेत्र के पास बसे हैं। यही कारण है कि यहां के ग्रामीणों को सीमा की द्वितीय रक्षा पंक्ति भी कहते हैं। लेकिन, यहां आज भी सड़क, स्वास्थ्य, दूरसंचार सहित मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने के लिए दैनिक जागरण ने जोशीमठ के परसारी गांव में चौपाल के माध्यम से ग्रामीणों से बातचीत की।
जोशीमठ के सीमा क्षेत्र के गांवों में शीतकाल में बर्फ जमी रहने के कारण यहां के निवासी निचले स्थानों में ग्रीष्मकालीन प्रवास पर आ जाते हैं। भले ही माणा व नीती तक हाईवे बनाया गया हो, परंतु आए दिन भूस्खलन से हाईवे बाधित होना आम बात है। क्षेत्र के अधिकतर गांवों में संपर्क मोटर मार्गों का निर्माण वर्षों से लटका हुआ है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों का टोटा है। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, दूरसंचार सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते सीमा क्षेत्र से पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। रोजगार भी पलायन का कारण है। सीमा क्षेत्र में पर्यटन की गतिविधियां बढ़े तो रोजगार की उम्मीद ग्रामीणों के कदम गांव में रोक सकते हैं। साठ के दशक तक मानसरोवर यात्रा नीती घाटी से होती थी और यहां के लोग तिब्बत से व्यापार करते थे। जिसे फिर से खोलने की मांग होती रही है। सीमा पर चीन बेहतर सड़कों के साथ ही रेल सुविधा वर्षों पहले ही जुटा चुका है।
रामेश्वर थपलियाल (निवासी ग्राम ढाक जोशीमठ) का कहना है कि सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए सरकार अलग से योजनाएं बनाए। यहां के हर गांव में सड़क, बिजली, पानी, दूरसंचार की सुविधा सुनिश्चित होनी चाहिए। स्वरोजगार के लिए कुटीर उद्योग बढ़ावा दिया जाए। ताकि स्वरोजगार के चलते यहां के लोग पलायन न करें।
सुशीला देवी (ग्राम फरकिया ग्वाड़) का कहना है कि सीमांत क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे हैं। आए दिन मरीजों को देहरादून या श्रीनगर गढ़वाल ले जाना पड़ता है। सरकार को सीमा क्षेत्र में रहने वाले निवासियों के लिए सेना के अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करनी चाहिए।
सुनिए सरकार उत्तराखंड की पुकार: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है चमोली जिला, यहां सड़क-संचार सीमावर्ती गांवों की जरूरत
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