नौ सितंबर को 13वां हिमालय दिवस देशभर में मनाया जाएगा। सभी हिमालय राज्यों के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली में भी इसका आयोजन किया जाएगा। देशभर की 500 से अधिक संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, स्कूलों व संस्थानों में हिमालय दिवस पर गोष्ठियों का आयोजन होगा और इसके माध्यम से हिमालय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी। हैस्को के संस्थापक डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों में नौ राज्य इसकी चर्चा जन समुदायों के बीच में कर हिमालय के महत्व को दर्शाएंगे और और इसी तरह अन्य राज्य जो किसी न किसी रूप में हिमालय को भोगते हैं। उनके बीच में भी हिमालय के संरक्षण की चर्चा होगी। डॉ.जोशी के मुताबिक, हिमालय पूरे देश की सदियों से हवा, मिट्टी, जंगल, पानी से अनवरत सेवा कर रहा है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हिमालय को लेकर के देशभर में चर्चाएं की जाएं ताकि देश के अन्य राज्य और लोग भी हिमालय के संरक्षण के प्रति जागरूक हों और वे भी हिमालय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें।
हिमालय को जलवायु नियंत्रक के रूप में प्रतिष्ठित करना है
डॉ.जोशी ने बताया कि हिमालय दिवस के इस वर्ष का विषय हिमालय एक जलवायु नियंत्रक के रूप में प्रतिष्ठित करना है। पूरे देश में हिमालय किसी न किसी रूप में हवा, मिट्टी, जंगल, पानी और देश के पारिस्थितिकी को सीधे नियंत्रित करता है और यही विषय हिमालय को एक अलग स्थान भी देगा। खासतौर से तब जब दुनिया में बढ़ते तापक्रम का एक नया संकट पैदा हो गया है। ऐसे में एशिया के लिए और भारत के लिए हिमालय का महत्व बढ़ जाता है। इस बार का विषय इसी पर केंद्रित है।
देश के नामी संस्थानों में होगी चर्चा
दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर हिमालयन स्टडीज सभी कॉलेज को लेकर के इस पर चर्चा करेगा। ऐसे ही हरियाणा में महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय इस पर भागीदारी करेगा। बिहार में पानी रे पानी संगठन व झारखंड में पानी और किसानी जैसे संगठन हिमालय से निकली हुई नदियों समेत अन्य उत्पादों पर बातचीत कर हिमालय दिवस के इस कार्यक्रम को बल देंगे। एलबीएस आईएएस अकादमी और यूपी में एमआईटी यूनिवर्सिटी में भी हिमालय दिवस पर संगोष्ठियां होंगी।
ऐसी नीतियों पर चर्चा हो, जिससे नुकसान कम हो
उन्होंने बताया कि ऐसी नीतियों पर बातचीत होनी चाहिए जिससे स्थानीय नुकसान कम हो। दुनिया में यह संदेश देने का प्रयास हो कि बढ़ते तापक्रम के कारण हिमालय की संवेदनशीलता पर सीधा असर पड़ता है। इसलिए दुनिया में जीवन शैली के बदलाव की आवश्यकता है ताकि हिमालय सुरक्षित किया जा सके।
परमार्थ निकेतन में होगा मुख्य कार्यक्रम
हिमालय दिवस का मुख्य कार्यक्रम परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में होगा। जहां सभी राजनीतिक नेतृत्व करने वालों से लेकर सामाजिक संगठन व विभिन्न वर्गों से बुद्धिजीवी भाग लेंगे। यहां पर सामूहिक रूप से कुछ घोषणाओं की भी अपेक्षा है। हिमालय दिवस उत्तराखंड में सभी विद्यालयों से लेकर एफआरआई वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भागीदारी करेंगे। इसी तरह तुलाज विश्वविद्यालय व अन्य विश्वविद्यालय इसमें भागीदारी करेंगे।
उत्तराखंड समेत कई राज्यों में मनेगा हिमालय दिवस, 500 से अधिक संस्थाएं गोष्ठियों में करेगी मंथन
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