नेपाल सीमा से लगे बसौड़ इलाके में संचार सुविधा ध्वस्त होने के कारण करीब पांच हजार की आबादी के मोबाइल खिलौना बन गए हैं। जिम्मेदार अफसर सुन नहीं रहे हैं। बार-बार कहने के बाद भी वह ग्रामीणों की पुकार को हलके में ले रहे हैं। इससे नाराज ग्रामीणों ने सोमवार को प्रदर्शन किया और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।
ग्रामीणों का कहना था कि संचार सेवा खराब रहने से सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं हो पाता है। बीएसएनएल की संचार सेवा आए दिन जवाब दे जाती है। इस बारे में कई बार कहने के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य रमेश चंद ने कहा सीमांत क्षेत्र में संचार सेवा बदहाल है। इस कारण उन्हें नेपाल के सिम का प्रयोग करना पड़ता है। उन्होंने कहा क्षेत्र में सड़क, परिवहन सहित संचार सेवा लगातार खराब रहने से काफी दिक्कतें आती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार फाइव जी की बात करती है जबकि नेपाल-भारत सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए यह बातें बेमानी है। प्रदर्शन करने वालों में पूर्व सूबेदार गोपी चंद, राजेंद्र सिंह, भूपाल चंद, गंभीर सिंह, विक्रम भाटिया, अनिल चंद शामिल रहे।
बोंगलिंग गांव में संचार सेवा शुरू
दारमा घाटी के ग्राम बोंगलिंग में जिओ कंपनी की संचार सेवा शुरू हो गई है। ग्रामीण लंबे समय से संचार सुविधा से जोड़ने की मांग कर रहे थे। जिओ के इंजीनियर आदित्य विक्रम सिंह ने बताया कि ग्राम बोंगलिंग में संचार सेवा शुरू हो गई है। तिदांग में मोबाइल टावर लगाने का कार्य पूरा हो गया है। दारमा घाटी में संचार सेवा शुरू होने से चीन सीमा में लगे सुरक्षा कर्मियों, ग्रामीणों को आपदा काल में प्रशासन को सूचना देने और माइग्रेशन काल में ग्रामीण निचली घाटियों में रह रहे परिजनों से आसानी से बात कर सकते हैं। बोंगलिंग की ग्राम प्रधान प्रियंका देवी, सामाजिक कार्यकर्ता कुंवर सिंह, ग्राम प्रधान दांतू जमन दताल, शकुंतला दताल ने कहा कि अब संचार सुविधा ठीक होगी।
मोबाइल बन गए ‘खिलौना’, अफसर समझ रहे ‘खेल’, हलके में ले रही सरकार इनकी पुकार, पढ़ें क्या है पूरा मामला
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