Friday, November 1, 2024
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नेटवर्क मार्केटिंग के सपने दिखाने वाले ने की थी सेवानिवृत्त चिकित्सक से 10.50 लाख की साइबर ठगी

रुद्रपुर। हल्द्वानी के रिटायर्ड डॉक्टर से 10.50 लाख रुपये की ठगी करने वाले साइबर ठग को कुमाऊं साइबर थाना पुलिस ने पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया है। आरोपी ने ट्रेजरी अधिकारी बन कर डॉक्टर को पेंशन के भुगतान कराने का झांसा दिया था। इसके बाद उनके खाते से रुपये उड़ा दिए थे। ठगी के मामले में कोलकाता पुलिस उसे पूर्व में भी गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। आरोपी नेटवर्क मार्केटिंग के क्षेत्र में नौकरी कर चुका है। कुछ समय पहले वह रामनगर के आयोजन में आ कर लोगों को प्रेरित करने वाला भाषण दे चुका है। इसके अलावा आईपीएल मैच के आयोजन में भी वह लोगों को प्रेरित करने वाला भाषण दे चुका है।
सोमवार को कुमाऊं साइबर थाने में सीओ साइबर सुमित पांडे ने बताया कि 26 अक्तूबर 2022 को हल्द्वानी निवासी रिटायर्ड डॉक्टर हरीश पाल ने पुलिस को सौंपी तहरीर में बताया था कि उनके खाते से 10.50 लाख रुपये गायब हो गए हैं। मामला कुमाऊं साइबर पुलिस के सुपुर्द किया गया। एसएचओ ललित पांडे ने मामले की विवेचना की। इसमें पता चला कि ठगी हुई रकम की निकासी कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और बिहार के एटीएम से हुई है। इस पर पुलिस की टीम ने कोलकाता और बिहार पहुंचकर वहां के एटीएम बूथ के सीसीटीवी खंगाले। पुलिस ने पश्चिम में 15 दिन डेरा डालने के बाद कोलकाता के एक फ्लैट में दबिश दे कर गांव बिदुपुर जिला वैशाली (बिहार) निवासी अभिषेक शॉ को दबोच लिया। उसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त 16 सिमकार्ड, छह डेबिट कार्ड, दो मोबाइल फोन मिले। पूछताछ में उसने बताया कि वह पूर्व में भी साइबर ठगी के मामले में कोलकाता जेल जा चुका है। आंध्र प्रदेश में साइबर ठगी के मामलों में भी उसका नाम प्रकाश में आया है। आरोपी को कोर्ट के समक्ष पेश कर न्यायिक हिरासत में उसे जेल भेज दिया गया।
रिटायर्ड लोगों को बनाता था निशाना
रुद्रपुर। आरोपी ने बताया कि वह रिटायर्ड हुए लोगों का विवरण ऑनलाइन निकाल लेता था। इसके बाद सोशल मीडिया से उनकी जानकारी जुटाकर उन्हें कॉल करता था। वह खुद को ट्रेजरी अधिकारी बता कर उनके पेंशन के भुगतान कराने की बात करता। जब लोग उसके झांसे में आ जाते तो वह उनके व्हाट्सएप पर पेंशन भुगतान संबंधी फॉर्मेट भेजता था। इस दौरान वह मोबाइल का एक्सेस लेकर सिम की स्वेपिंग करता और उनके इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस भी ले लेता था। इंटरनेट बैकिंग के माध्यम से वह बैंक की रकम को अपने विभिन्न खातों में ट्रांसफर करता और डेबिट कार्ड के जरिये रुपयों की निकासी करता रहता था।

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