देहरादून। वन विभाग की रेस्क्यू टीम के लीडर और स्नेक मैन के नाम से जाने जाने वाले वनकर्मी रवि जोशी नहीं रहे। शुक्रवार को उन्होंने लंबी बीमारी के बाद दून अस्पताल में दम तोड़ दिया। रवि जोशी कैंसर से पीड़ित थे। लेकिन उसके बाद भी वह जिंदादिली से अपनी नौकरी के साथ-साथ वन्यजीवों के रेस्क्यू को लेकर भी अंतिम समय तक काम करते रहे।
रवि जोशी करीब एक हजार से ज्यादा विभिन्न प्रजातियों के सांप पकड़ चुके थे। इसके अलावा कई गुलदार, हिरन और अन्य वन्यजीवों के रेस्क्यू ऑपरेशन में भी वे शामिल रहे थे। विभाग में बतौर चालक तैनात रवि जोशी को वन्यजीवों से इतना लगाव था कि वे आधी रात को भी रेस्क्यू के लिए कहीं भी पहुंच जाते थे। उनके इसी जुनून के कारण वे धीरे-धीरे वन्यजीव विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाने लगे थे। रवि जोशी लंबे समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे और अभी कुछ समय पहले ही डॉक्टरों ने उनके गले का ऑपरेशन कर उनकी आवाज की ग्रंथि निकाल दी थी। इसके बाद भी बोल भी नहीं पा रहे थे। कुछ समय तक वे बिना आवाज के ही वन्यजीवों के रेस्क्यू में जुटे रहे। फिर अचानक उनकी तबीयत खराब हुई इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को जब अस्पताल में उनका निधन हो गया। रवि जोशी ने पिछले साल बर्ड फ्लू फैलने की आशंका के बाद जगह जगह मरे हुए पक्षियों के सैंपल लेने और उनको डिस्पोज करने में अहम भूमिका निभाई थी। तत्कालीन डीएफओ देहरादून रहे और वर्तमान में डीएफओ नरेंद्र नगर राजीव धीमान ने बताया कि करीब 3 साल तक रवि जोशी रेस्क्यू टीम में रहे और इस दौरान उन्होंने बेहद ही प्रशंसनीय काम किया। वन्यजीवों के रेस्क्यू से संबंधित सूचनाओं के लिए लोग उनके व्यक्तिगत नंबर पर भी कॉल किया करते थे।
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नहीं रहे रवि, कैंसर पीड़ित होने के बावजूद अंतिम वक्त तक करते रहे रेस्क्यू
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